संदेश
सफलता का रहस्य - कविता - डॉ. रवि भूषण सिन्हा
दूसरों की ख़ूब सुनिए, उस पर मनन भी कीजिए ख़ूब। बात जो हो अपने काम की, उसे याद भी रखिए ख़ूब।। जीवन की जंग में, इसका कीजिए ख़ूब सदुपयोग। जीत…
लाॅकडाउन - संस्मरण - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
लॉकडाउन अर्थात तालाबंदी। पिछले लॉकडाउन में मेरी छोटी बहन गर्भवती थीं उसका इलाज जिस डॉक्टर से चल रहा था वह दूसरे शहर की थीं। लॉकडाउन के…
डर ही डर - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
कोरोना का आतंक अभी कम हुआ नहीं, कि शुरू हो गया, कुदरत का ये द्वितीय क़हर है। गाँव हो या शहर, नदी या नहर, फँसी ज़िन्दगी, डर ही डर बस चह…
इश्क़ का चक्रव्यूह - कविता - आर्यन सिंह यादव
फँसा इश्क़ के चक्रव्यूह में मिलता ठौर नहीं है, सभी विरोधी हुए आज कोई मेरी ओर नहीं है। नही किसी को दोष यहाँ मैं ख़ुद ही गुनाहगार हूँ, प्य…
गुरु - कविता - बृज उमराव
बिन गुरु बहे न ज्ञान की गंगा, बिन गुरु जग अंधियारा। ज्यों बिन दीपक घना अँधेरा, अंधाकुप्प जग सारा।। गुरु की खोज मे जग जग भटके, मिले नही…
गुरु - आलेख - कर्मवीर सिरोवा
गुरु अपने सभी शागिर्दों पर रहमतें बरसाता है अगरचे ज़ुबाँ से बरसे या मास्टरजी के दिव्य डंडे से। जिसने ये ईल्म, नेमतें हासिल कर ली वो ख़ुश…
गुरुवर - कविता - तेज देवांगन
वो गुरुवर तुम हो मेरे आधार, सीखा तुमसे जग सच्चाई, सीखा तुमसे जीवन का सार, वो गुरुवर तुम हो मेरे आधार। मैं था ख़ाली ताल बराबर, ईर्ष्या, …
गुरुवर की महिमा - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
मस्तिष्क के कोने कोने में ज्ञान से रिक्त को, ह्रदय के क़तरा क़तरा भाव से रहित को, कर ज्ञान भाव से युक्त एक सार्थक उत्पत्ति बनाता है जो, …
मेरे गुरुवर दया करो - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
अन्धकार में भटक रहा हूँ, ज्ञान का दीप जला दो। मुझ पर गुरुवर दया करो, नई दिशा दिखला दो।। तम रूपी ये दानव चारो ओर से मुझको घेरे। इसमें …
सावन आया - कविता - राजकुमार बृजवासी
सावन आया सावन आया बैरागी मन झूमे गाए, पपीहे ने शोर मचाया सावन आया सावन आया। गरज रहे बादल अंबर में बिजली चम चम चमक रही, देखो छाए बदरा घ…
मिले ग़म जो तुमको भुलाना पड़ेगा - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 122 122 122 122 मिले ग़म जो तुमको भुलाना पड़ेगा। तुम्हें फिर से अब मुस्कुराना पड़ेगा। ज़माना है …
मेरे सपनों को साकार होने दो - कविता - कुलदीप सिंह रुहेला
मेरे सपनों को साकार आज होने दो, मुझको आज साहित्यकार होने दो। चंद पन्नों का क़लम का राही हूँ मैं, मुझको इसका पहरेदार रहने दो। है गुज़…
समरसता मुस्कान जग - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आज फँसा मँझधार में, सत्य मीत अरु प्रीत। लोभ अनल में जल रहा, समरसता संगीत।। मीशन था अंबेडकर, समरसता संदेश। समता ही स्वाधीनता, दलित हरि…
साहचर्य का अस्तित्व - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
ये मत सोचो कि जो तुमसे जुड़े हैं, तुम उनसे अच्छे हो बल्कि ये सोचो कि तुम जिनसे जुड़े हो वे तुमसे अच्छे हैं। बलखाती नदी, शीतल पवन, हरे-…
प्रश्न स्त्री बौद्धित्व का - कविता - ममता रानी सिन्हा
सदियों से ही पूछ रही है एक स्त्री, प्राचीन दोराहे पर अबतक खड़ी। क्या गृहदेहरी के बाहर भी कभी, उचित सुसम्मान दे पाओगे मुझे? जैसे मैं लगा…
बरस बरस मेघ राजा - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेघ राजा बेगो आजा, बरस झड़ी लगा जा। सावन सुहानो आयो, हरियाली छाई रे। अंबर बदरा छाए, उमड़ घुमड़ आए। झूल रही गोरी झूला, बाग़ा मस्ती छाई…
जवान ज़बान - कविता - संजय कुमार
मन की मनोव्यथा सुना, दिल के भेद बता देना, आँसूओं को आवाज़ व होठों को आभास देना। ज़बान की जवानी होती हैं। लक्ष्य को राह देना, काम पर ध्या…
निशा चुभाती ख़ंजर - कविता - अंकुर सिंह
प्रेम रस में तेरे, भीगा मेरा मन। तुम हो प्रिये, साहित्य की रतन।। शब्दों की तुम, पिरोई हो माला हो। साहित्य की तुमने सजोई वर्ण माला हो।…
नाम लिखा दाने-दाने में - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान : फ़ेल मुफ़ाईलुन फ़ेलुन फ़ेल तक़ती : 21 122 22 21 नाम लिखा दाने-दाने में। लुत्फ़ मिला करता खाने में।। सात सुरों की उड़ती खिल्ली, रेंक…
मासिक धर्म और समाज का नज़रिया - कविता - राजेश "बनारसी बाबू"
ये ऊपरी अँधेरी कोठरी से कैसी कहरने की आवाज़ आई है? ये कैसी चिल्लाहट और रोने की चीख़ दे रही सुनाई है? लगता है आज अपनी छोटी बिटिया को मास…
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