बरस बरस मेघ राजा - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी

मेघ राजा बेगो आजा, बरस झड़ी लगा जा। 
सावन सुहानो आयो, हरियाली छाई रे।

अंबर बदरा छाए, उमड़ घुमड़ आए। 
झूल रही गोरी झूला, बाग़ा मस्ती छाई रे।

रिमझिम रिमझिम, टिप टिप रिमझिम। 
बिरखा फुहार प्यारी, तन मन भाई रे।

ठंडी ठंडी पूरवाई, सावन री रुत आई। 
बरस बरस मेघा, बरसाओ पानी रे।

घिर आए मेघा काले, ठंडी-ठंडी बूँदों वाले। 
बरसती फुहारों से, धरा हरषाई रे।

मौसम सुहाना आया, मस्ती का आलम छाया। 
हँसी होठों पे सबके, चेहरों पे छाई रे।

मीठे मीठे गीत प्यारे, झूम झूम नाचे सारे। 
बरसात प्रेम भरी, सावन री आई रे।

रंग रंगीलो सावन, बरसे मनभावन। 
प्रीत भरी झड़ी घट, भीतर लगाई रे।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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