मेरे गुरुवर दया करो - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

अन्धकार में भटक रहा हूँ,
ज्ञान का दीप जला दो।
मुझ पर गुरुवर दया करो,
नई दिशा दिखला दो।।

तम रूपी ये दानव 
चारो ओर से मुझको घेरे।
इसमें मै तो उलझ गया,
दुर्भाग्य पास है मेरे।।

ज्ञान प्रकाश फैला दो गुरुवर,
तम को दूर भगाओ।
उज्ज्वल हो मेरा जीवन,
ऐसा कुछ कर जाओ।।

डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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