सावन आया - कविता - राजकुमार बृजवासी

सावन आया सावन आया
बैरागी मन झूमे गाए,
पपीहे ने शोर मचाया
सावन आया सावन आया।

गरज रहे बादल अंबर में
बिजली चम चम चमक रही,
देखो छाए बदरा घनघोर
बूँदें छम छम बरस रही,
पेड़ों पर छाई हरियाली
उन पर कोयल चहक रही।
कुदरत ने क्या रूप दिखाया,
सावन आया सावन आया...

नाव बनाकर काग़ज़ की
आओ बच्चे बन जाए हम,
गली-गली में धूम मचाए
बचपन में खो जाए हम,
मस्त महीना सावन आया
प्रकृति के रंग में रंग जाए हम।
गुनगुन गुनगुन गाए भँवरा
फूलों के मन को भाया,
सावन आया सावन आया...

प्रीत का महीना सावन
रीत यही अपना लो तुम,
भूलाकर सब पुरानी बातें
सबको गले लगा लो तुम,
ज़िंदगी है ये चार दिन की
मिलकर हँस लो गा लो तुम।
सब का है मन हर्षाया,
सावन आया सावन आया...

राजकुमार बृजवासी - फरीदाबाद (हरियाणा)

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