मेरे सपनों को साकार होने दो - कविता - कुलदीप सिंह रुहेला

मेरे सपनों को साकार 
आज होने दो,
मुझको आज 
साहित्यकार होने दो।

चंद पन्नों का 
क़लम का राही हूँ मैं,
मुझको इसका पहरेदार 
रहने दो।

है गुज़ारिश मेरी 
कविता शायरी से
मेरी हर रचना को 
आज चौकीदार होने दो।

मेरी हिम्मत मेरी मेहनत है
मेरी हर ख़्वाहिश का,
मुझको आज 
क़र्ज़दार रहने दो।

मैं मुसाफ़िर हूँ
क़लम ओर पन्नों का,
मुझको इसका 
राज़दार रहने दो।

मेरे हर सपने को आज 
साहित्यकार होने दो।


कुलदीप सिंह रुहेला - सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)

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