संदेश
जीवन एक संघर्ष है - कविता - उमेन्द्र निराला
जीवन एक संघर्ष है और हम पथिक है उसके, राहें सरल नहीं है बाधाएँ हर पग है तो इससे डरना क्या? मुझे गिराने की चाहत में गिर रहें हैं ख़ुद, म…
चले चलो, बढ़े चलो - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
चले चलो, बढ़े चलो लड़ो कि बिना लड़े हक़ नहीं मिलता। उठो कि बिना चले मंज़िल नहीं मिलती। माँगों कि बिना माँगे कुछ नहीं मिलता। जागो कि बिना जा…
जो बीत गया उसे जाने दो - कविता - अनूप अंबर
जो बीत गया उसे जाने दो, फिर से नव स्वप्न सजाने दो। टूट के बिखरे खंडहरों में, फिर से दीप जलाने दो। गिरना उठाना फिर से चलाना, सुनो मुसाफ़…
लक्ष्यभेद अब करना होगा - कविता - राघवेंद्र सिंह
जीवन के इस महासमर में, तुझको न अब डरना होगा। अर्जुन की ही भाँति तुझे भी, लक्ष्यभेद अब करना होगा। इस शूलित पथ पर तुझको ही, शकुनी-सा छल …
मंज़िल करे पुकार - गीत - प्रशान्त 'अरहत'
मंज़िल करे पुकार ओ राही! प्रतिपल कदम बढ़ाए चल। चलना तेरा काम वक़्त से हरदम हाथ मिलाए चल। जो भी सुखद-दुखद घटनाएँ उनको अभी भुलाए चल। जो भी…
ऊर्जा - कविता - अजय गुप्ता 'अजेय'
जीवन में इच्छा-संकल्प, हैं सर्वोत्तम सह-प्रकल्प। स्वतंत्र विचार मानव के पास, किंतु वह अपने मन का दास। सही निर्णय नहीं ले पाता है, नहीं…
जीत - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जो है खड़ा निडर जन मन में, प्रीत उसी की होती है। गिरना, उठना, चलना जिसका, जीत उसी की होती है। धन बल, बाहुबल एक कलंक, अगर वह युद्ध थोप…
प्रभा - गीत - संजय राजभर 'समित'
थका हुआ क्यूँ सोया है तू, जन्म मिला अलबेला है। कट गई घनेरी रात प्रिये! जाग प्रभा की बेला है॥ न कर आलस अंतस में, कर्म धन चमकता है। सीकर…
सिर चढ़ बोलेगा - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
जटिल प्रश्न है, कठिन घड़ी है इस मिथ्या को जब तोड़ेगा वक्त तेरे संग ज़ुबाँ मिलाकर सबके सिर चढ़ बोलेगा। क्या कोई प्रश्न हुआ है जग में? जिसका…
बरगद का दरख़्त है तू - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
न किया पहचान निज का, तो बड़ा कमबख़्त है तू। तिनकों से तुलना क्या तेरी, बरगद का दरख़्त है तू। आज तो है कल नहीं तृण, वायु से या जल में बहता…
कर्मवीर - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
उठो मित्र कुछ कार्य करो, भाग्य पे ना विश्वास करो, उठो मित्र कुछ कार्य करो। कर्म तनिक भी किए नहीं, फल की इच्छा करते हो। किया अगर कुछ बु…
भाग्य - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
हे मानुष! भाग्य को कोस कर, विकास को अवरोध मत कर। श्रम बिंदु से लिख दे ललाट को, क्योंकि तू देव नहीं है नर। इंसान के सोच को, भाग्य पर …
आशा किरण - कविता - बृज उमराव
मनसा वाचा कर्मणा, सत्कर्मों के साथ। जीवन सफल बनाइए, न हो मनुज उदास॥ उम्र मात्र गिनती होती, हौसला रखें हरदम कायम। मंज़िल है न कोई असम्भव…
झरना - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
झर झर झर झरता झरना, झरने का है ये कहना– चट्टानों की छाती पर चढ़, रोड़ों से कभी तनिक न डर। बाधाओं में न रुक जाना, बहते जाना, सहते जाना, च…
प्रकृति और अँधेरा - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
मानते क्यों नहीं इस दुनिया में आने के लिए हर बीज ने एक अँधेरा गर्भ में जिया है पृथ्वी को तोड़कर या गर्भ की असीम प्रसव पीड़ा के बाद …
हार का महत्व - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
समय रेत सा फिसल न जाए वक्त रहते तुम करो उपाय जीतने की आदत तो अच्छी पर हार से तू क्यों घबराए? हार तो वह अनमोल हार है जो जीवन में जीतने…
पौधे सा जीवन - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
हरियाली की चाहत लेकर, पौधा जो दुनिया में आता है, मिलती उसको तपन धूप की, कभी बिन पानी के रह जाता है। दुनिया को सुख देने की चाहत में, ज…
संघर्ष - कविता - अनूप अंबर
तिनका-तिनका बीन-बीन कर, वो अपना नीड़ सजाता है । हवाओं का अभिमान तोड़ कर, वो लक्ष्य को अपने पाता है॥ ये मेहनत का आराधक है, आशाओं की लड़…
आज क्रांति फिर लाना है - कविता - मोहित त्रिपाठी
डूब रही जो शक्ति अंधकार के घेरों में, फँसती जा रही जो कलि काल के फेरों में, उसको जगा पुनः ज्योति से ज्वाला बनाना है आज क्रांति फिर…
चमक - कविता - संजय राजभर 'समित'
न ठनक न खनक न सनक बस चुपचाप धैर्य से शांति से अनवरत सही दिशा में होश और जोश के साथ अपने लक्ष्य की ओर आत्मविश्वास से अपना कर्…
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