आशा किरण - कविता - बृज उमराव

मनसा वाचा कर्मणा, सत्कर्मों के साथ।
जीवन सफल बनाइए, न हो मनुज उदास॥

उम्र मात्र गिनती होती,
हौसला रखें हरदम कायम।
मंज़िल है न कोई असम्भव,
बस तुमको रखना है संयम॥

उम्मीद और आशा दो पहिए,
जीवन गाड़ी ऐसे चलती।
सतत प्रयास सारथी अपना,
हर नई सुबह नव किरणें खिलती॥

हर रात के बाद सुबह होती,
पतझड़ परान्त कोपल आती।
उदय अस्त की यही कहानी,
आजीवन चलती जाती॥

कर्म आपके पथ का साथी,
फल पर न कोई अधिकार।
अकर्मण्य हो जीवन जीता,
उसके जीवन को धिक्कार॥

सत्कर्मों की राह कंटीली,
पथ में बहुत ही काँटें हैं।
एक शक्ति जग करे नियंत्रित,
सब सुख दुःख में बाँटे हैं॥

जब सबको संघर्ष है करना,
पथिक न हो तू तनिक उदास।
धैर्य और अनवरत कर्म से,
मंज़िल होगी तेरे पास॥

बृज उमराव - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos