मंज़िल करे पुकार ओ राही!
प्रतिपल कदम बढ़ाए चल।
चलना तेरा काम वक़्त से
हरदम हाथ मिलाए चल।
जो भी सुखद-दुखद घटनाएँ
उनको अभी भुलाए चल।
जो भी स्वप्न सहायक तेरे
उनको गले लगाए चल।
जो भी पथ बाधा पहुँचाए
उनको अभी भुलाए चल।
चलना तेरा काम वक़्त से
हरदम हाथ मिलाए चल।
तू अपना लक्ष्य देख केवल
मुश्किल को सभी हराए चल।
तुझसे ये पथ आलोकित हो
तू ऐसा दीप जलाए चल।
ये जाति धर्म का भेद न कर,
और सबको गले लगाए चल।
चलना तेरा काम वक़्त से
हरदम हाथ मिलाए चल।
परचम लेकर बढ़ शांति का
फिर ईर्ष्या द्वेष मिटाए चल।
जो छाया सबको दें सुख की
तू उसका बीज लगाए चल।
मन मोहित जो सबका कर ले
वो राह में पुष्प खिलाए चल।
चलना तेरा काम वक़्त से
हरदम हाथ मिलाए चल।
मंज़िल करे पुकार ओ राही!
प्रतिपल कदम बढ़ाए चल।
प्रशान्त 'अरहत' - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)