संदेश
दशरथ माँझी - कविता - गोकुल कोठारी
फड़कती भुजाओं का ज़ोर देखा, क्या ख़ूब बरसे घनघोर देखा। कर्मों की बहती दरिया देखी, उससे निकलती नई राह देखी। इतिहास रचने की चाह देखी, माँझ…
उम्मीद - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
सफलता यदि छत है तो असफलताएँ उसकी सीढ़ियाँ खोकर तुमने जो पाया है देख उसे, आगे बढ़ेंगी आने वाली पीढ़ियाँ आसमाँ बड़ा है मुश्किलों का पहा…
प्रज्वलित कर लो दीप सत्य का - कविता - गोकुल कोठारी
कितना घना हो चाहे अँधेरा, एक दीप से डरता रहा है, हारा नहीं जो अब तक तमस से, हर जलजले में जलता रहा है। कहता है सूरज से आँखें मिलाकर, अग…
नाविक तू घबराता क्यों है? - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
उठती गिरती लहरें लखकर, नाविक तू घबराता क्यों है? ख़ुद या नाव पर नहीं भरोसा, तो सागर में जाता क्यों है? तरुणाई है जब तक तन में, यौवन भी …
फूल मत फूलन बनो तुम - कविता - प्रशान्त 'अरहत'
मैं नहीं कहता कभी ये कामिनी, कमनीय हो तुम! या सुमुखि मानो गुलाबों की तरह रमणीय हो तुम! तुम वही हो जो कि चढ़कर के हिमालय जीत लेतीं। तुम …
पथ - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
नित नए सपने गढ़ता है पथ न रुकता न थकता है पथ। मनुष्य की चाह है पथ, नई उम्मीदें नए हौसले कसता है पथ। कर्तव्य की राह है पथ, मेहनत का मिला…
विजय कामना - कविता - सौरभ तिवारी 'सरस्'
स्वाँस है बाक़ी अभी, विश्वास है बाक़ी अभी। हरगिज़ विजय की कामना दिल से निकालूँगा नहीं, मैं हार मानूँगा नहीं। मैं हार मानूँगा नहीं॥ स्वाँस…
मत घबराना - कविता - संगीता भोई
ख़ुशियों की सुबह जो हुई है, फिर घनेरी शाम भी होगी। गर आज हैं दिन दर्द भरे, कल राहतें तेरे नाम भी होंगी। मंज़िल मिल ही जाएगी, मत घबराना…
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर, आगे है सुहानी तेरी राह रे। कहने को जड़ है, ना चले रे हिमालय, बहने को नदिया में गले रे हिमालय, अरे, जड़ क…
मेहनतकशों की पुकार - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
भैया रेऽऽऽऽऽऽ भैया रे हल ना रुके, रुके ना हँसिया रेऽऽऽ, भैया रे। रूठ जाए मेघा तो रुठ जाने देना डूब जाएँ तारे तो डूब जाने देना बूँद से …
पंख पसार - कविता - रिचा सिंह
लोग क्या सोचेंगे ये काम है उनका, बातें बनाना यही है रीत, कब लोगों ने तुम्हें ख़्वाब दिखाए, कब दिए हैं तुम्हें पंख? गिर गए तो है बात बन…
चलो चलें बदलाव की ओर - कविता - दीपक राही
चलो चलें बदलाव की ओर, नाव के सहारे किनारों की ओर, छौर मचाती उन लहरों की ओर, कलम की पैनी होती धार की ओर, चलो चलें बदलाव की ओर। रूढ़िवाद…
हौसलों की लहर - कविता - राजीव कुमार
लहरों को ऊँचा उठने दो, पतवार भी छुट जाने दो। डगमगा जाने दो कश्ती, तब जाकर निखरेगी अपनी हस्ती। सागर लहरों पे कश्ती डोलेगी, दिल की लहरों…
भरोसा ख़ुद पर - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
विश्वास का पौधा बोना चाहा, मिट्टी जो वफ़ादार नहीं, उग न पाया पारदर्शिता पानी से, सिखलाती निर्मल रहे पर, कुछ छद्म विभा के अनुकरणो से, मन…
मैं तैयार हूँ - कविता - परमानन्द कुमार राय
1 मैं तैयार हूँ! जग जीवन के झंझावात से, मुश्किलों के महापाषाण से, बाधाओं के व्यसन-व्यवधान से लड़ने को मैं तैयार हूँ! मुश्किलों से आगे …
मेरे बच्चों! - कविता - रुचा विजेश्वरी
मेरे बच्चों! जब तुम मेरी उम्र में पहुँचोगे, घर के साथ सुनने पड़ेंगे ताने समाज भर के... तुम सुनने की आदत डाल लेना, तुम्हे मिलेंगे कइय…
रुचा विजेश्वरी - लेख - दिव्या बिष्ट 'दिवी'
जैसा कि आप सभी जानते हैं सोशल मीडिया संचार का एक ऐसा विशाल माध्यम है जो पूरी दुनिया को जोड़े रखता है, ये एक 'वर्चुअल दुनिया' क…
कोशिश - कविता - नंदिनी लहेजा
कोशिश करना फ़र्ज़ तेरा, बन्दे तू करता चल। भले लगे समय पर तू, निश्चित पाएगा फल। रख विश्वास स्वयं पर, और ना मान कभी भी हार। कोशिश को रख जा…
जीने की परिभाषा सीखो - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
यदि परिवार चलाना हो तो, जीने की परिभाषा सीखो। थोड़े दिन का यह जीवन है, आना जाना लगा हुआ है। नश्वरता बैठी अग-जग में, यह क्रम अविरल बना …
उड़ान - कविता - अनिकेत सागर
परिंदों सा उड़ना जब सीख लेगा तू, धरती से अंबर तक तेरा नाम होगा। टूटी शमशीरों से लड़ना सीखेगा तो, हर शख़्स तुझे करता सलाम होगा। राहों मे…