जो है खड़ा निडर जन मन में,
प्रीत उसी की होती है।
गिरना, उठना, चलना जिसका,
जीत उसी की होती है।
धन बल, बाहुबल एक कलंक,
अगर वह युद्ध थोपे रे!
जीत कर भी हार है उसकी,
गर नफ़रत को रोपे रे!
अधर्म की लड़ाई का ख़ाका,
सदा बिलखकर रोती है।
गिरना, उठना, चलना जिसका,
जीत उसी की होती है।
प्रेम प्रस्ताव ठुकराने पर,
फिर भी धैर्य बनाए रे।
उसके मंगलमय जीवन का,
शुभेच्छा ही दिखाए रे।
प्रेम ग्रंथ के पावन पन्नें,
युगों तक धन्य होती है।
गिरना, उठना, चलना जिसका,
जीत उसी की होती है।