संदेश
पुण्य भाग्य आगम अतिथि - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अतिथि देवता तुल्य है, चिर पूजित संसार। मान दान सेवा नमन, ईश्वर का अवतार॥ अतिथि गेह आगम सुखद, पावन मिलन सुयोग। कुशल क्षेम चर्चा विवि…
पत्नी की मृत्यु पर - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
खो दिया एक मंत्राणी मातृत्व का स्वरूप शिव सा विषपान कर जिओ और जीने दो की परिभाषा परीक्षा की घड़ी में परिवार को जोड़ने का सूत्र सिखा गई…
हैं बहुत नाज़ुक रिश्ते - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
भाव अनन्त भर भीतर मन के ज़ुबान पर मिठास रखा कीजिए। हैं रिश्ते ये ज़रा नाज़ुक हुज़ूर! इस तरह इन्हें बचाकर रखा कीजिए॥ ये नहीं जेबों में र…
धुआँ-धुँध - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
धुआँ-धुँध हर तरफ़ बढ़ रहा छाया है अँधियारा, उठो कवि एक सृजन करो अब लिख दो तुम एक नारा। भारत की जलवायु लिखो तुम नदियों का परिवर्तन लिख द…
अरे! मतवाले कौन तुम - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
अरे! मतवाले कौन तुम दिल छूने वाले कौन तुम कितना कुछ सुनना है तुमसे कहाँ बैठे हो मौन तुम सालों की बातें जोड़ी है सालों से सपने जोड़े है क…
कठपुतली - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
अंग-अंग पर बाँधे धागे, तभी हिले जब हिलते तागे। कठपुतली है नाम कहाई, मन को सबके भाती ताई। कभी प्रसन्न कभी यह रूठी, लोककला प्रतिमान अनूठ…
पेड़ की व्यथा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
पेड़ की व्यथा, आँसुओं की कथा। यह कुछ पीली मशीनें, यह कुछ आरी सी कीलें। रस्सी के फंदे, जमघट मज़दूरों का, पेड़ अकेला थर्रा पड़ा। काटने वा…
प्रिय तुम कुछ बोलो - कविता - सुनीता प्रशांत
प्रिय तुम कुछ बोलो झोली शब्दों की खोलो थाम लूँगी उन शब्दों को सजा लूँगी माथे पर सहेजूँगी जीवन भर समेट लूँगी उन्हें मन में फैला द…
अनकही बातें - कविता - प्रवीन 'पथिक'
कभी कभी जीवन में भी कुछ ऐसा क्षण आता है, दर्द सिसकता है भीतर, मुस्कान दिखाया जाता है। मन की मायूसी का जब, चीत्कार उठता है उर में, चैन…
जय शिव शंकर - कविता - रजनीश तिवारी
जय बोलो जय जय शिव शंकर रूद्र महादेव बम बम हर हर जय बोलो जय जय शिव शंकर है जगत में सबसे निराला मेरा बाबा भोला भाला पहने देखो सर्पो…
सब झूठ सब फ़रेब - कविता - सोलंकी दिव्या
सब झूठ सब फ़रेब, जहाँ देखा था कल घर वहाँ आज देखा तो, सब रेत-रेत। लुटाना वो सारी ख़ुशीया घर-परिवार पर चाहता था, मगर देखा तो उसका खाली था…
अहंकार - कविता - बिंदेश कुमार झा
गगन के हृदय में अंकित सितारा अपनी यश-गाथा का विस्तार कर रहा, इतराकर सूरज से बैर किया है सूर्य की लालिमा मात्र से कहार रहा। अपनी सुंदर …
सम्बन्ध और वृक्ष - कविता - अभिषेक शुक्ल
सम्बन्ध और वृक्ष काफ़ी समान हैं एक हद तक! विश्वास रूपी धरातल, प्रेम रूपी जल, और सत्य रूपी रौशनी! पोषण करती है इस वृक्ष का पर्याप्त पोष…
क़दम रखूँ - कविता - दिव्या मिश्रा
क़दम रखूँ ज्यों शिखर पर सराहना हे! राम मन मस्त मगन उड़ती फिरूँ स्वतंत्र बनाना हे! राम ज़िम्मेदारी को सिद्ध करूँ सशक्त बनाना हे! राम क़दम.…
खोजने चला वजूद अपनी - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
यायावर उड़न चला हूँ मैं, खोजने चला वजूद अपनी, अनादि अनन्त व्योम क्षितिज में, अकेला निरापद निर्विकार, कुछ शेष अन्तर्मन जिजीविषा, सम…
क्या मेरे भी दिन फिरेंगे? - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
प्रश्न अभी भी हैं अनुत्तरित क्या उनके उत्तर मिलेंगे? प्रिय, सच-सच अबकी कहना क्या मेरे भी दिन फिरेंगे? मैं अकेला सोचता हूँ रात-दिन बस ब…
दर्पण - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
यह दर्पण यूँ तो सारे राज़ जानता है, इसीलिए तो इसे सारा जहान मानता है। फ़ितरत क्या इंसान की न पूछो ऐ हुज़ूर! एक यही है जो उसे बख़ूबी पहचा…
फ़र्क़ है - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
फ़र्क़ है श्रीराम की जयकार करने में, और अपने तात की आज्ञा शिरोधार्य करने में, और सबके हित के कार्य करने में, फ़र्क़ है। फ़र्क़ है भरत को राम…
स्त्रीत्व - कविता - संजय राजभर 'समित'
जो पुरुष तृप्ति के बाद करवट लेकर नहीं सोता बल्कि वह अतृप्ता को आलिंगन में भर लेता है वह वासना नहीं बल्कि प्रेम करता है वह स्त्रीत…
कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा, अन्तर के छंदों को पूरा कैसे छुएगा। एक सीमा है अभिव्यक्ति की, कागज की सीमित शक्ति की। बहुत कुछ मुख क्…
योग रूपी शरीर की आत्मा है संगीत - लेख - घनश्याम तिवारी
यूँ ही नहीं हमारा देश भारत प्राचीन काल से ही सम्पूर्ण मानवजाति का मागदर्शन एवं दिशा निर्देश करने वाला राष्ट्र माना जाता रहा है। इसका ज…
मौन भी अभिव्यंजना है - कविता - मयंक मिश्र
एक आदमी चुप है शांत पेड़ के पत्तों को देखता दूसरी ओर से हवा बहती हैं पत्ते हिले, पेड़ हिले पूरी दुनिया हिलती है, इसी बीच एक पक्षिय…
आत्मगत सौंदर्य - आलेख - कृपी जोशी
हालिया दिनों में यूपी दसवीं बोर्ड का रिजल्ट जारी किया गया था जिसमें प्राची निगम ने राज्यस्तरीय टॉपर सूची में प्रथम स्थान अंकित कर ढेरो…
ख़ुशियाँ बाँटते चलो - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
ग़म तो सभी देते हैं, तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो। जिन्हें सबने दुत्कारा हो, तुम उन्हें पुचकारते चलो। जो बंचित हैं जो शोषित हैं, तुम उन्हें अ…
चिर जलो जगत में लघु दीप - कविता - राघवेंद्र सिंह
चिर जलो जगत में लघु दीप, ले नवल रुधिर का द्रुत प्रवाह। जग उठे विश्व का तृण-तृण यह, दो शून्य श्वास को नवल राह। तन में शैशव का रुदन काल,…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर