पत्नी की मृत्यु पर - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

पत्नी की मृत्यु पर - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' | Hindi Kavita - Patni Ki Mrityu Par | पत्नी की मृत्यु पर कविता
खो दिया एक मंत्राणी
मातृत्व का स्वरूप
शिव सा विषपान कर
जिओ और जीने दो की परिभाषा
परीक्षा की घड़ी में
परिवार को जोड़ने का सूत्र
सिखा गई स्वाभिमान
तपस, अनुशासन
और सिखा गई ―
पत्नी धरती है
सागर की गहराई का गांभीर्य
एवं
आकाश छूने की चाहत
और स्वाभिमान के आयाम।

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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