स्त्रीत्व - कविता - संजय राजभर 'समित'

स्त्रीत्व - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Streetv - Sanjay Rajbhar Samit. स्त्रीत्व पर कविता
जो पुरुष 
तृप्ति के बाद 
करवट लेकर नहीं सोता
बल्कि वह अतृप्ता को 
आलिंगन में भर लेता है 
वह वासना नहीं बल्कि प्रेम करता है 
वह स्त्रीत्व को प्राप्त हो जाता है 
अर्थात 
परम तत्व की ओर अग्रसर हो जाता है।


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