ख़ुशियाँ बाँटते चलो - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'

ख़ुशियाँ बाँटते चलो - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर' | Khushi Kavita - Khushiyaan Baantate Chalo. ख़ुशी हिंदी कविता
ग़म तो सभी देते हैं,
तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो।
जिन्हें सबने दुत्कारा हो,
तुम उन्हें पुचकारते चलो।
जो बंचित हैं जो शोषित हैं,
तुम उन्हें अपनाते चलो,
तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो।

तुम मानव हो,
भावनाओं को प्रसारते चलो।
समझो जीवों के दुःख दर्द,
सम्भव हो तो निवारते चलो।
जो उदास हैं रो रहे हैं अंतर्मन में,
तुम उन्हें दुलारते चलो,
तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो।

कर्तव्य पथ चुन लो अपना,
देखो मानवता का ही सपना।
निज भविष्य सँवारते चलो,
बुराईयों को सँहारते चलो।
दया और मुस्कान भरो मन में,
तुम ख़ुशियाँ बाँटते चलो।।

नृपेंद्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

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