पुण्य भाग्य आगम अतिथि - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

पुण्य भाग्य आगम अतिथि - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Dohe - Punya Bhagya Aagam Atithi, अतिथि पर दोहे
अतिथि देवता तुल्य है, चिर पूजित संसार। 
मान दान सेवा नमन, ईश्वर का अवतार॥ 

अतिथि गेह आगम सुखद, पावन मिलन सुयोग। 
कुशल क्षेम चर्चा विविध, खानपान सुख भोग॥ 

शील त्याग गुण कर्म सच, बनता मनुज चरित्र। 
शान्ति प्रेम सद्भावना, होते अतिथि पवित्र॥ 

सखा अतिथि नित ज़िंदगी, मिलन मिटे सब रोग। 
पुण्य भाग्य आगम अतिथि, देता गमन वियोग॥ 

मृगतृष्णा के जाल में, भटका मानव साँस। 
बनी प्रकृति अब अतिथि की, केवल भोग विलास॥ 

बिना सूचना आगमन, अतिथि सदा परिभाष। 
अभ्यागत अभ्यर्चना, आतिथेय अभिलाष॥ 

दुर्लभ जीवन ध्येय पथ, भूल निरत सुख भोग। 
गमनागम बस अतिथि बन, आतिथेय संयोग॥ 

धर्म सनातन अतिथिगण, गरिमामय अस्तित्व। 
सद्विचार मृदुभाषिता, सर्वगुणी व्यक्तित्व॥ 


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