कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Koi Kaagaz Kaise Sab Vrittant Kahega - Hemant Kumar Sharma
कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा,
अन्तर के छंदों को पूरा कैसे छुएगा।

एक सीमा है अभिव्यक्ति की,
कागज की सीमित शक्ति की।
बहुत कुछ मुख क्लांत कहेगा।

शासन होगा कृत्यों का मन में,
शासन कहाँ,
वाणी से भृत्यों का तन में।
और वाचाल मन कहाँ शान्त रहेगा।

शब्दार्थ अवधारणा में निहित,
क्या विचार कैसे हो सर्व हित।
विचार तो अमर मरणान्त रहेगा।

कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा।


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