हैं बहुत नाज़ुक रिश्ते - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'

हैं बहुत नाज़ुक रिश्ते - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना' | Hindi Kavita - Hain Bahut Naazuk Rishte | रिश्ते पर कविता, Hindi Poem on Relationship
भाव अनन्त भर भीतर मन के
ज़ुबान पर मिठास रखा कीजिए।
हैं रिश्ते ये ज़रा नाज़ुक हुज़ूर!
इस तरह इन्हें बचाकर रखा कीजिए॥

ये नहीं जेबों में रख खर्चने के लिए
एक दूजे संग मिल चलने के लिए।
ये तो वो अनमोल पूँजी हैं जिन्हें 
दिलों में अपने सम्भालकर रखा कीजिए॥

भले ही आए कड़वाहट कितनी
ना बोलचाल बंद किया कीजिए।
बंद होने से पहले दरवाज़े मन के
गर हो सके तो फिर सुलह कीजिए॥

माना कि उम्र गुजर जाती है यूँ तो
इन रिश्तों की उस तुरपाई में।
हो सके हर रिश्ता पक्का, सिलाई, 
विश्वास के धागे से किया कीजिए॥

आते हैं बड़ी ही मुश्किलों से
वो जो इस ज़िंदगी के हिस्से में।
परखने से पहले उन्हें स्वयं को,
ज़रा उस कसौटी पर रखा कीजिए॥

सीमा शर्मा 'तमन्ना' - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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