संदेश
पति-पत्नी - कविता - विजय कुमार सिन्हा
दो अनजाने परिवारों के बच्चे बंधते हैं एक साथ परिणय सूत्र में परिणय सूत्र में बंधते ही हो जाते हैं जीवन भर के लिए एक दूसरे के लिए। और …
हे बुद्ध तथागत! - गीत - प्रशान्त 'अरहत'
हे बुद्ध तथागत! चरणों में मैं याचक बनकर आया हूँ, तुम मुझको प्रज्ञावान करो, मैं शरण तुम्हारी आया हूँ। मैं पंचशील भी अपनाऊँ, आर्यों को स…
मदमस्त पुष्प - कविता - गणेश भारद्वाज
आई थी मनभावन आँधी, मेरे भी नीरस जीवन में। जी भर उसने कोशिश की थी, पर चमक नहीं थी सीवन में। शंकाओं में पल बीत गए, वो हार गए हम जीत गए। …
सुनो सबकी करो अपने मन की - लेख - कुमुद शर्मा 'काशवी'
इस उपरोक्त लोकोक्ति (मुहावरे) का अर्थ कितना सीधा एवं सरल है ना! कि हमें बातें तो सबकी सुन लेनी चाहिए पर हमारे मन को जो अच्छा लगे उसी क…
भाव - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी। माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है ज़मीं आसमाँ का पर शब्द तो …
माँ स्वयं में संसार है - कविता - संजय राजभर 'समित'
एक माँ अपनों बच्चों के लिए एक सुरक्षा कवच है, ममता की धारा माँ और बच्चे दोनों को आजीवन सींचती रहती हैं एक असीम आनंद की अनुभूति एक माँ …
बादल - कविता - उमेन्द्र निराला
हे बादल! अब तो बरसो भू-गर्भ में सुप्त अंकुर क्षीण अनाशक्त, दैन्य-जड़ित अपलक नत-नयन चेतन मन है, शांत। नीर प्लावन ला एक बार देख प्रकोप ह्…
समाज - कविता - डॉ॰ अर्चना मिश्रा
पानी सा तैरता जीवन धपाक छपाक फिर निशब्दता निशब्दता से उपजता कोलाहल कोलाहल में सन्नाटा सन्नाटों से उपजता शोर शोर से हो जाता भयावह म…
छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में - ग़ज़ल - भाऊराव महंत
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 21221 छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में, और बड़े आ जाते हैं पत्थर की श्रे…
मानसून का इंतज़ार है - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
भीषण गर्मी उमस बढ़ी है मानसून का इंतज़ार है। छाया-धूप है सखी-सहेली। पानी और है गुड़ की भेली॥ भेड़ाघाट नर्मदा तट पर और वहीं पे धुँआधार ह…
जो बीत गया उसे जाने दो - कविता - अनूप अंबर
जो बीत गया उसे जाने दो, फिर से नव स्वप्न सजाने दो। टूट के बिखरे खंडहरों में, फिर से दीप जलाने दो। गिरना उठाना फिर से चलाना, सुनो मुसाफ़…
एक बार जो टूट गया तो - कविता - प्रवीन 'पथिक'
एक बार जो टूट गया तो, शायद ही जुड़ पाएगा! प्रेम या जीवन के सपनें, हुए पराए जो थे अपने। ऑंखें खोई हो आकाश में, न उर पीड़ा मिट पाएगा। एक…
प्रियतम - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
प्रियतम तेरे नाम की लिखी मैंने इक चिट्ठी कुछ शिकायतें इस चिट्ठी में कुछ बातें खट्टी-मीठी प्रियतम संग नाता ऐसा प्यारा वो मझधार मैं उसकी…
श्री जगन्नाथ जी महिमा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम। नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम। तिहूँ सुशोभित पृथक् रथ…
छोड़ भतैरा जाएगी - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
तोते की देख के चोंच, उठने लगा संकोच। कितना ही खा पाएगी? छोड़ भतैरा जाएगी॥ सौंप बाग़ की डोर उसे, कोस रहा था और किसे। मैं ख़ुद, ख़ुद से अं…
मेरे हिस्से कविता आई - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिनका विस्तृत हृदय पात्र था, उनके हिस्से सिंधु आया। जिनका शीतल मन था शोभित, उनके हिस्से इंदु आया। जिनकी वाणी में था गर्जन, उनके हिस्से…
साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं - ग़ज़ल - चन्द्रा लखनवी
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 2122 212 साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं, क्या बताऊँ किस क़द-ओ-क़…
रोते दोनों सारी रात - कविता - राहुल भारद्वाज
कैसे भूल सकूँगा मैं, वह काली-काली अंधियारी रात। बहा ले गई जो मेरा गुलशन, कैसी थी वो काली रात॥ माँ का सर पर आँचल था, महका करता आँचल था।…
अपने उनका ख़्याल - कविता - मुकेश वैष्णव
अपनों की भूख छुपाने वो, गाँव से शहर निकला था, बच्चों की आँखों में नमी थी, और आसमान भी पिघला था। पत्नी की तो पूछो मत, वो, दरवाज़े पर आ…
मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान: मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती: 1222 1222 122 मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे, पुराने ज़ख्म सब सिलते रहेंगे। इजाज़त तुम अगर दे दो मुझे…
क़हर ढा रहा आसमाँ - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
क़हर ढा रहा आसमाँ, बरस रही है आग। सर पे गमछा बाँध ले, जाग मुसाफ़िर जाग॥ जाग मुसाफ़िर जाग, बदन गर्मी से उबले। राति मसन की फ़ौज, सुनावै क…
प्रकाशन - कविता - राजेश 'राज'
जाने क्या ढूँढ़ती हैं तुम्हारी आँखें मुझमें तुमसे पूछ्ना चाहता हूँ पर नहीं सूझता कोई प्रश्न जिससे देखें तुझमें और ज्ञात हो जाए जिज्ञासा…
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं। मैं भी मुस्कुराते हुए... लखनऊ की ऊँची इमारतों को, शॉपिंग मॉल्स को, तारीख़ी इमारतों को और लखनऊ की विरासत…
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