माँ स्वयं में संसार है - कविता - संजय राजभर 'समित'

एक माँ
अपनों बच्चों के लिए
एक सुरक्षा कवच है,
ममता की धारा
माँ और बच्चे दोनों को
आजीवन सींचती रहती हैं
एक असीम आनंद की अनुभूति
एक माँ की ताक़त होती है।

माँ पढ़ लेती है
बच्चे की भूख प्यास
और बच्चा
माँ के स्पर्श को
यही है माँ और बच्चे की बीच की कड़ी
जो आजीवन बाँधे रहती है।
माँ स्वयं में संसार है
योद्धा है
कोमल पंखुड़ियों सी
ममता की धार है।


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