छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में - ग़ज़ल - भाऊराव महंत

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122  2122  21221

छोटे लोग गिने जाते कंकर की श्रेणी में,
और बड़े आ जाते हैं पत्थर की श्रेणी में।

पल भर में ही कई दिलों का क़त्ल किया करती,
जिह्वा अपनी आती है ख़ंजर की श्रेणी में।

अब तक मालिक बनकर ऐंठे थे जो बाबूजी,
वृद्ध हुए तो आ बैठे नौकर की श्रेणी में।

रोज़ हलाहल आम आदमी दुख का पीता है,
क्यों न रखें हम उसको तब शंकर की श्रेणी में।

फ़ैशन का ये दौर भयानक त्रासदियाँ लाकर, 
आज खड़ा कर दिया हमें जोकर की श्रेणी में।

तुंग हिमालय इतना भी इतराओ मत ख़ुद पर, 
दो पल लगता है, जाने सागर की श्रेणी में।

पति-पत्नी के रिश्ते ऐसे बदले आज 'महंत' 
अब दोनों आते मिसेज-मिस्टर की श्रेणी में।

भाऊराव महंत - बालाघाट (मध्यप्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos