स्नेह भरे आँचल में माते - गीत - उमेश यादव
रविवार, मई 12, 2024
कष्टों से व्याकुल मेरा मन, पीड़ा से जब भरता है।
स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥
जब भी विपदा आई मुझपर, तूने हमें बचाया है।
पोंछ आँसुओं को तूने माँ, मुझको गले लगाया है॥
सर पर तेरा हाथ सदा ही, दुःख कष्टों को हरता है।
स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥
है सुकून कहीं और नहीं जो, गोद में तेरे पाता हूँ।
चाहे मैं हो जाऊँ बड़ा, आँचल में शिशु बन जाता हूँ॥
हरपल हर क्षण तुमसे माते, मिलने को मन करता है।
स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥
सुत के सुख-दुःख को हे माते, आँखों से पढ़ लेती थी।
ग़लती पर माते दुलार का, थप्पड़ भी जड़ देती थीं॥
वही दुलार फिर से पाने को, अक्सर मन तड़पता है।
स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥
तलाश रहा हूँ बचपन फिर माँ, जहाँ तुम्हारी छाँव मिले।
रहो सदा ही साथ हे माते, पूजन को तेरा पाँव मिले॥
तुझसे ही धड़का था दिल माँ, तेरे लिए धड़कता है।
रोम-रोम और अंग-अंग में, लहू तुम्हारा बहता है॥
स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥
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