संदेश
हरी भरी हो धरती अपनी - कविता - बृज उमराव
हरी भरी हो धरती अपनी, देती जीवन वायु। पथ में पथिक छाँव लेता हो, शुद्ध करे स्नायु॥ तापान्तर में वृद्धि दिख रही, जागरूक हो जनमानस। …
परशुराम अवतार - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
परशुराम भगवान जी, श्री हरि के अवतार हैं। अमर रहेंगे वह सदा, जब तक ये संसार है। धन्य-धन्य जमदग्नि जी, धन्य हुई माँ रेणुका। जिनके गृह मे…
रूह तक को भी छू गया वो मेरे - ग़ज़ल - रंजना लता
अरकान : मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 122 122 122 रूह तक को भी छू गया वो मेरे, वो ख़ुशबू है, चाँदनी है, दुआ है, क्या है? ज़ि…
दुःख एक सोच - कविता - युगलकिशोर तिवारी
मैं दुःख हूँ पीड़ा, चिन्ता, कष्ट न जाने मेरे कितने रूप हूँ, कभी मन से, कभी तन से, कभी धन से स्वरूप हूँ। ये तुम्हारी सोच है कि मैं कुरु…
कोरा पन्ना - कविता - दिलीप सिंह यादव
मैं जब भी अपने दिल के कोरे पन्ने पर तुम्हारा नाम लिखता हूँ मेरी आँखों से आँसू निकलने के लिए व्याकुल हो उठते हैं और मेरे मन की वेदनाएँ …
माँ - कविता - विजय कुमार सिन्हा
शरीर के रोम-रोम में बह रहा है माँ का दूध लहू बनकर। यह एक ऐसा क़र्ज़ है जो कभी उतर नहीं सकता। बड़ी ही मीठी बोल है माँ। अच्छे-बुरे क…
पति-पत्नी का प्यार - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
दिन कटता कशमकश में, रात रार ही रार। किन गलियों में खो गया, पति-पत्नी का प्यार॥ पति-पत्नी का प्यार, दिख रहा अंजानों सा। पीठ खाट पर जोड़,…
जिसमें हो सबका हित साहित्य वही - कविता - विनय कुमार विनायक
जिसमें हो सबका हित साहित्य वही, जिसमें हो मानव गीत साहित्य वही, जिसमें हो संगीत प्रीत साहित्य वही, जिससे हो मनुज मीत साहित्य वही। साहि…
धरनी धर्म निभाना - कविता - अंकुर सिंह
साथ तेरा मिला जो मुझको, बिछड़ मुझसे अब न जाना। वपु रूप में बसों कही भी, चित्त से मुझे न बिसराना॥ साथ तुम्हारा मुझे मिला है, हर जन…
जीवन का स्वर्णिम अध्याय - कविता - इमरान खान
ये जीवन का स्वर्णिम अध्याय है! कि दीवार के एक कोने से दूसरे कोने को मापने की कोई गणितीय विधि नहीं है! आकाशगंगा से आती हुई रोशनी, और जग…
घर का ज़िम्मेदार - कविता - अनिल कुमार केसरी
घर का ज़िम्मेदार बने रहना, सबकी ज़िम्मेदारी में खड़े रहना, भगवान क़सम...! बहुत, बहुत ज़िम्मेदारी का काम है। परिवार के सारे रिश्तों को, …
अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव, पूर्ण नारीत्व सृजन तन होता है। अनुभूति सकल सुख शुभ जीवन, सुख सन्तान प्राप्ति मन छाता है। नारीत्व सफल …
औरत - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
बड़ी अजीब सी बात है कि उसके जीवन में आज भी वैसी ही रात है कहते तो यह भी है कि वह जैसे चाहे जी सकती है जहाँ चाहे रह सकती है अब आसम…
उसकी मर्ज़ी के मुझे क्या बख़्शे - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
दुआ बख़्शे या बद-दुआ बख़्शे, उसकी मर्ज़ी के मुझे क्या बख़्शे। बख़्शने में वो मुझे न बख़्शेगा, अर्ज़ ये है के कुछ नया बख़्शे। ज़माना नया फ़साना त…
बाबासाहेब - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
धर्म जाति से ऊपर उठकर उनके रहे विचार, और समाज की हर कुरीति पर खुलकर किया प्रहार। ऊँच नीच का भेद मिटाकर हो सबका सम्मान, बाबासाहेब की चा…
फ़ासला नज़दीकियों का मूल है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 फ़ासला नज़दीकियों का मूल है, ज्यों गुलाबों का सहारा शूल है। इक ज़रा सी बात पर न…
चिराग़ लगे - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
दूर करने अंधकार को जैसे चिराग़ लगे। सच का दामन और झूठ के सौ-सौ दाग़ लगे॥ शहर चतुर हैं गाँव अभागे हैं। फटी धोतियांँ सिलते तागे हैं॥ कोई प…
रोज़ इंसान का इंसान से झगड़ा होगा - ग़ज़ल - मोहसिन 'क़लम'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 रोज़ इंसान का इंसान से झगड़ा होगा, यह वही दौर है पुरखों ने जो सोच…
मेरी कविता - कविता - संजय राजभर 'समित'
मेरी कविता का आधार मेरा दुख है मानव मात्र की ही नहीं जीव मात्र की ही नहीं निर्जीव पहाड़, वायुमण्डल हवा, पानी समग्र सृष्टि की स…
ब्रह्मानंद का स्वर्ग दौरा - कहानी - अशफ़ाक अहमद ख़ां
यू॰पी॰ के कई ज़िले पिछले दिनों सूखे की चपेट में थे। किसान पूरे सावन इंद्रदेव की तरफ आशा भरी निगाहों से देखते रहे, इंद्र देव को ख़ुश करने…
नाव - कविता - नौशीन परवीन
किस ओर जा रहीं ये नाव जहाँ घाव पुराना हैं उस ओर बहती जा रहीं नाव झिलमिलाती धूप में झूठी और सच्ची कहानी लिए हज़ारों ख़्वाहिशों को ढोते…
हरि वन्दना - गीत - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
जय हो तुम्हारी हे माधव मुरारी, जय हो सदा हे जग बलिहारी। सुमिरन तुम्हारी करता सदा हूँ, छाया में तुम्हारी रहता सदा हूँ। कितनी महिमा तुम्…
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