हरी भरी हो धरती अपनी,
देती जीवन वायु।
पथ में पथिक छाँव लेता हो,
शुद्ध करे स्नायु॥
तापान्तर में वृद्धि दिख रही,
जागरूक हो जनमानस।
अभियान और आन्दोलन के बल,
सफल कराएँ वृक्षारोपण॥
जन मानस जब जागरूक हो,
वृक्षारोपण में रुचि लेगा।
आने वाले दिन बहुरेंगे,
तापमान काफ़ी कम होगा॥
पर्यावरण संरक्षण के हित,
वृक्षों की कटान कम करिए।
तकनीक प्रयोग करें ज़्यादा,
जन जीवन में नव रस भरिए॥
धरती माँ चीत्कार रही,
बंजर मत मुझको कीजै।
मेरे लाल ख़्याल करो तुम,
वृक्ष लगा शृंगारित कीजै॥
आज ज़रूरत आन पड़ी,
सौगन्ध तुम्हें है मेरे लाल।
हरा भरा आँचल हो मेरा,
कर दो बच्चों एक कमाल॥
संकल्प करें उत्साह दिवस पर,
एक-एक सब वृक्ष लगाएँ।
पालन पोषण उसका कर,
धरती माँ को समृद्ध बनाएँ॥
जहाँ जगह दिखती हो खाली,
सड़क किनारे नाले के तट।
इकलौता हो काम आपका,
रोपण कर देवें एक वृक्ष॥
आवाह्न है आप सभी का,
अभी से यह संकल्प लीजिए।
ख़ुशियों के पल यादगार हों,
हरित धरा परिकल्प कीजिए॥
बृज उमराव - कानपुर (उत्तर प्रदेश)