जिसमें हो सबका हित साहित्य वही - कविता - विनय कुमार विनायक

जिसमें हो सबका हित साहित्य वही,
जिसमें हो मानव गीत साहित्य वही,
जिसमें हो संगीत प्रीत साहित्य वही,
जिससे हो मनुज मीत साहित्य वही।

साहित्य समाज का मन दर्पण होता,
साहित्य मानवीय भाव समर्पण होता,
साहित्य ईश्वरीय ज्ञान सम्पन्न होता,
साहित्य में मनोभाव का अर्पण होता।

साहित्य है मानवीय समस्या का हल,
साहित्य सर्व ज्ञान का खिलता कमल,
साहित्य है पराजित समाज का संबल,
साहित्य को मिटा नहीं सके कोई छल।

साहित्य मानव की सबसे उच्च शक्ति,
साहित्य साधन व संपन्नता की युक्ति,
साहित्य में रीति-रिवाज की अनुभूति,
साहित्य से मिलता अविद्या से मुक्ति।

साहित्य अध्ययन से ऊँचा काम नहीं,
साहित्य बचाने से बड़ा अभियान नहीं,
साहित्य लेखन से बड़ा कोई आन नहीं
साहित्य पे मरने से बड़ा अरमान नहीं।

साहित्य के समकक्ष कोई उपहार नहीं,
साहित्य से धारदार कोई हथियार नहीं,
साहित्य प्रेम से न्यारा कोई प्यार नहीं,
साहित्यकार आतंकवादी का यार नहीं।

साहित्य सत्य सनातन मन का प्रभाव,
साहित्य ऋषि-मुनि गुरुजन के स्वभाव,
साहित्य सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय,
साहित्य मनुज बनाने का एकल उपाय।

साहित्य अध्ययन में जो अर्पित जीवन,
वो मानव होते नहीं मानवता के दुश्मन,
साहित्य संस्कृति संस्कार से जिसे प्रीत,
वो मानव मानव के लिए होते समर्पित।

विनय कुमार विनायक - दुमका (झारखंड)

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