परशुराम भगवान जी,
श्री हरि के अवतार हैं।
अमर रहेंगे वह सदा,
जब तक ये संसार है।
धन्य-धन्य जमदग्नि जी,
धन्य हुई माँ रेणुका।
जिनके गृह में जन्मने,
आए थे ख़ुद देवता।
परशुराम महाराज ने,
दुःख मेटे संसार के।
दीन जनों का सर्वदा,
करते वह उद्धार थे।
शूरवीर उन सा नहीं,
ब्राह्मण कुल के सूर्य हैं।
पितृभक्त शिव भक्त वह,
साक्षात ही शौर्य हैं।
वीर धनुर्धर ज्ञाननिधि,
उनसा जग में कौन है।
अब भी हैं संसार में,
शिव तप हित ही मौन है।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)