मेरी कविता का आधार
मेरा दुख है
मानव मात्र की ही नहीं
जीव मात्र की ही नहीं
निर्जीव
पहाड़, वायुमण्डल
हवा, पानी
समग्र सृष्टि की
समन्वय की है।
मैं अकेला
मेरी कविता अकेली
ख़ूब बातें होती है
मेरा अस्तित्व
मेरी कविता।
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