संदेश
मैंने अपनी नींद में - कविता - इमरान खान
मैंने अपनी नींद में बस तुम्हारा नाम पुकारा है। कितनी बार देखा तुम्हें पर आँखें नहीं भरी। तुम्हारे होंठों से निकला हुआ, गुलाबी पारदर्…
एक ख़त - मोनोलॉग - अशहर आलम
आज भी जब कभी यूनिवर्सिटी के रास्ते से गुज़रता हूँ, तो सारे गुज़रे पल मेरी आँखों के सामने नुमाया होने लगते हैं। वह सब जो मैंने तुम्हें पह…
ओ राधा रानी - गीत - डॉ॰ मान सिंह
ओ राधा रानी तेरा श्याम तके तेरी राह, तू आजा उन्हीं गलियों में। मैं कदम्ब की डाल पे बैठा मुरली मधुर बजाऊँगा, तेरे नाम की माला लेकर पल-प…
वो ख़्वाब पुराने - कविता - मेघना वीरवाल
ख़्वाहिशों के इस जहान में हर दिन पल-पल में ख़्वाबों का मेला लगता है, कुछ है सामने कुछ भीड़ में खोया लगता है। हम वो है जो इस मेले में…
सीख लिया है तुमसे कान्हा - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सीख लिया है तुमसे कान्हा, मैंने भी मुस्काना। स्वयं कठिन जीवन जीकर के, गीता ज्ञान सिखाना। राधा जी से सीख लिया है, कान्हा में रम जाना। म…
यूँ तो, सब दिखता है - कविता - अपराजितापरम
यूँ तो, सब दिखता है, मगर, कुछ नज़र नहीं आता। इन चर्चाओं के बाज़ार में, बनावटी चकाचौंध की जिरहों में हर शख़्स सम्मोहित हुआ जाता है। यूँ तो…
जीवनोत्सव - कविता - विनय विश्वा
जीवन का होना उत्सव होना है मतलब नया राग बोना है। बोना है धरती में पीड़ा को जो वीणा की धुन सुनाती इड़ा को खुल जाता ज्ञान की इंद्रियाँ सर…
कौन है कृष्ण? - लेख - सिद्धार्थ 'सोहम'
भारत मान्यताओं, परंपराओं और संस्कृति को आज भी प्रासंगिक बनाने वाला राष्ट्र, लिखित रूप से 5000 साल पुरानी सभ्यता जो मात्र विश्वगुरु होन…
सखी रे चल पनघट की ओर - कविता - सुशील कुमार
सखी रे चल पनघट की ओर, वाट निहारत आज वहाँ पर यशुदा नन्दकिशोर। पानी भरन बहाने आई लेकर मटकी हाँथ, राह अकेले में डर लागे तू भी चल मेरे सा…
श्याम से - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से, राधा की है पैरवी बस श्याम से घनश्याम से। श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से॥ ज…
माखन चोर - कविता - जितेन्द्र कुमार
जो मुरली की टेर सुनाए, सबके उर में प्रेम जगाए। गोपियों के चित्त चुराकर, कुंज-निकुंज में छुप जाए। जिसमें संसार विभोर है, वो कृष्ण है, म…
भादौं महात्म - कविता - अनिल भूषण मिश्र
छठा माह भादौं का आया, वर्षा चहुँओर घनघोर कराया। उफनाए हैं सब ताल-तलैया, उफनाई हैं गंगा यमुना मईया। कहीं बाढ़ आई है प्रलयंकारी, कहीं डूब…
वो कान्हा हैं - कविता - स्नेहा
वो प्रेम हैं वो हैं सखा वो ही मीत हैं वो कान्हा हैं। नटखट हैं वो माँ का दुलारा वो मित्र है सुदामा का प्यारा। गोकुलवासियों का बंधु वो ब…
खोजे कृष्णा को मन - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
लागी जबसे लगन खोजे कृष्णा को मन चैन मिलता नहीं तुझे ढूँढ़ूँ वन-वन जीवन की यही आस तुझसे मिलन की बुझे न प्यास तू तो जाने है सबकी हे कृष्…
जन्माष्टमी पर्व है आया - कविता - आशीष कुमार
जन्माष्टमी पर्व है आया, सुख समृद्धि उल्लास है छाया। मंगल पावन अनुपम बेला, विराज रहे लड्डू गोपाला। मोर पंख का मुकुट निराला, सर पर पहने …
आराधन श्री कृष्ण का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हे! अर्जुन के सारथी, हे! गिरिधर गोपाल। नंदलाल यशुमति लला, राधा प्रीत निहाल॥ कृष्ण लाल प्रिय राधिका, प्रथम प्रीत मनमीत। युवा वयसि सख…
श्री कृष्ण जन्माष्टमी - कविता - आर॰ सी॰ यादव
हे मधुसूदन! हे बनवारी! जन-जन के हितकारी। प्रभु बाधा हरो हमारी॥ मोर मुकुट सिर शोभित सुंदर, मुरली की धुन प्यारी। पाँव पैजनी, कमर करधनी, …
एक मीरा एक राधा - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
पागल हुआ है मन, श्यामल की माया में, भूख प्यास सुध नहीं अब तो, भक्ति सुहाई रे। एक मीरा एक राधा दोनों, प्रेम दीवानी हैं, छोड़ जग मोह …
श्री कृष्ण का जन्म - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
श्री कृष्ण तुम्हारा अवतरण धरा में लाया परिवर्तन। आपके जन्म से ज्योतिर्मान हो उठी मथुरा नगरी खुल गए कारागार के पट यमुना नें किया आपके च…
श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
धूम मची जमुना किनारे, श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे। राधा के घनश्याम प्यारे, मीरा के प्रिय मोहन दुलारे। जय गोविंदा जय गोविंदा 2 केशव म…
आयो रे नंदलाल - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
आयो रे, आयो रे नंदलाल, आयो रे बाल रूप चित्त छायो रे माँ जमुना स्पर्श करायो रे रूप साँवरा मन भायो रे आयो रे, आयो रे नंदलाल, आयो रे। माख…
कान्हा आयो रे - कविता - गोकुल कोठारी
ठुमक-ठुमक पैजनिया, मनमोहनी मुस्कान लियो अधरा में, छनक-छनक कंकणी बाजत ताहि कमलजात करा में। छप्पन भोग सुहावै नहिं तेहि को दधि माखन भायो,…
प्रेम की पराकाष्ठा - कविता - शिवचरण सदाबहार
(राधा कृष्ण से) सारा जीवन राधा-राधा पर रिश्ता बेनाम रहा, तड़पी मैं रैन दिवस पर विमुख मुरली वाला श्याम रहा, नंद का तुझ पर ख़ूब दुलार रहा…
मैया माखन की मटकी दे दो - कविता - नंदनी खरे
मैया माखन की मटकी दे दो, नटवर नभ नृप नंदलाल सजे। सोम सागर सरिस से नैना, नैन निहारत चंद्र लजे। ना लागे नज़रिया कान्हा को दैया, सब ले ले …
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