सीख लिया है तुमसे कान्हा - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

सीख लिया है तुमसे कान्हा,
मैंने भी मुस्काना।
स्वयं कठिन जीवन जीकर के,
गीता ज्ञान सिखाना।

राधा जी से सीख लिया है,
कान्हा में रम जाना।
मीरा जी से सीख लिया है,
प्यार के गीत सजाना।

सीख लिया है तुमसे कान्हा,
मैंने प्रेम तराना।
इस दुनिया मे आकर केवल,
सीखा प्यार लुटाना।

सीख लिया है तुमसे कान्हा,
हँस कर दुःख सह जाना।
औरों की ख़ुशियों के ख़ातिर,
न्यौछावर हो जाना।

सीख लिया है तुमसे कान्हा,
मैंने भी मुस्काना।
स्वयं कठिन जीवन जीकर के,
गीता ज्ञान सिखाना।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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