जीवनोत्सव - कविता - विनय विश्वा

जीवन का होना 
उत्सव होना है
मतलब नया राग बोना है।

बोना है धरती में पीड़ा को
जो वीणा की धुन सुनाती इड़ा को
खुल जाता ज्ञान की इंद्रियाँ
सराबोर हो जाता पंचतत्व
जीवन के इस उत्सव में।

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)

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