श्री कृष्ण जन्माष्टमी - कविता - आर॰ सी॰ यादव

हे मधुसूदन! हे बनवारी!
जन-जन के हितकारी।
प्रभु बाधा हरो हमारी॥

मोर मुकुट सिर शोभित सुंदर,
मुरली की धुन प्यारी।
पाँव पैजनी, कमर करधनी,
चंचल चितवन मनहारी॥

यशोमति के वात्सल्य भाव से,
ब्रज के राजदुलारे।
ग्वाल-बाल संग खेल-खेल में,
क्रुर असुर संहारे॥

श्याम वर्ण तन, रूप सलोना,
लीला अद्भुत अविनाशी।
जन उपकारी मदन मुरारी,
घट-घट में तुम वासी॥

गोवर्धन धारण कर पल में,
गर्व इंद्र का चूर किया।
अनाचार-पाखंड कंस का,
जग के हित में दूर किया॥

गीता का उपदेश जगत में,
प्रेरक चेतक हितकारी।
धर्म प्रवर्तक, संस्कृति रक्षक,
मंगलमय गुणकारी॥

आर॰ सी॰ यादव - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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