स्नेहा - अहमदनगर (महाराष्ट्र)
वो कान्हा हैं - कविता - स्नेहा
शुक्रवार, अगस्त 19, 2022
वो प्रेम हैं
वो हैं सखा
वो ही मीत हैं
वो कान्हा हैं।
नटखट हैं वो
माँ का दुलारा
वो मित्र है
सुदामा का प्यारा।
गोकुलवासियों का बंधु वो
बलदेव के वो भ्राता हैं
बृजवासियों के हैं सखा
वो रास रसैया हैं।
वो तन में मन में
वो ही नयन में
वो बाँसुरी की धुन में
वो कृष्णा हैं।
वो राधिका का प्रेमी हैं
वो गोपियों का प्रेम हैं
राधा रानी का सर्वस्व वो
वो गोपाला हैं।
वो प्यारा हैं
वो न्यारा हैं
वो ही हमारा हैं
वो कान्हा हैं।
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