श्याम से - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी

श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से,
राधा की है पैरवी बस श्याम से घनश्याम से।
श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से॥

जो कान्हा को जानते हैं और उनको मानते हैं,
माधव को ग़लत कहूँगा मन ही मन वे ठानते हैं।
श्याम हैं बस मौन और कुछ भी न बोलते हैं,
राज़ क्या है इसके पीछे क्यूँ कभी न खोलते हैं।
भक्तों की बातों को बस वे सुनते हैं आराम से,
श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से।
राधा की है पैरवी बस श्याम से घनश्याम से॥

निज नाम में राधा लगाकर चल गए जाने कहाँ,
वृन्दावन में थे उगे फिर ढल गए जाने कहाँ।
क्या कहा था ऊधो से के भूल जाएँ गोपियाँ,
राधा की रुकीं कभी न बेपरवाह सिसकियाँ।
दुःख असीम हुआ था सबको श्याम के पैग़ाम से,
श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से।
राधा की है पैरवी बस श्याम से घनश्याम से॥

श्याम को अपनी ग़लतियों पर होता पश्चाताप हैं?
साथ में पूजा है होती पर भाव में विलाप है।
ब्रज की गलियाँ आज भी उस साँवरे को ढूँढ़तीं हैं,
राधा-रानी आओगे एक-दूजे से पूछतीं हैं।
राधा का मिलन कब होगा बनवारी घनश्याम से,
श्याम के भक्तों ने कह डाला है अब तो श्याम से।
राधा की है पैरवी बस श्याम से घनश्याम से॥

सिद्धार्थ गोरखपुरी - गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

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