संदेश
विवाहिता - कविता - हेमलता शर्मा
आज रिश्ता और रास्ता मानो खत्म हो गया ! आज पाँव नही बल्कि मानो दिल थक गया। मुझे समझ न सका कोई भी मेरे सिवाय। तब अहमियत जा…
फिर ढलेगी रात काली, सुकूँ से होगी गुज़र - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
फिर अमन की शाम होगी , अमन की होगी सहर । फिर चमन गुलज़ार होंगे , खुशबुओं से तर ब तर । फिर वतन आबाद होगा, भाग जायेगा कहर । …
मानव धर्म - कविता - शेखर कुमार रंजन
यह कविता बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर को समर्पित किया जा रहा है। बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर इसी जन्म मे इसी जीवन मे हम…
शैतानों की शैतानी - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
किसका के बिगाडै थी और किसकी करै थी हाणी शैतानों की शैतानी कारण पड़ी अपणी जान गंवाणी अपणी भूख मिटावण ख्यातर वा आगी थी बस्ती मै अपण…
अधूरी कहानी - गीत - बजरंगी लाल यादव
खता क्या हुयी तुम जु़दा हो गयी, छोड़कर साथ मेंरा,अलव़िदा कह गयी। हम तो सीने से तुमको लगाए रहे, तोड़ कर दिल मेरा बेवफ़ा हो गयी।। …
शायद तुम्हें याद हो - कविता - अवनीश अगरकर
शायद तुम्हें याद हो आज की जैसी रातो में कभी कुछ सालो पहले मैंने तुमसे और तुमने मुझसे प्रेम किया था । शायद तुम्हें याद हो की…
कैसी ये हैवानियत - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
दरिंदगी लज्जित हुई , देख मनुज बेशर्म। बेजु़बान थी गर्भ से , मरी मनुज दुष्कर्म।।१।। कैसी ये हैवानियत , कैसा …
बदल गए हम - कविता - जितेन्द्र कुमार
वहीं दिन है, वहीं रात है, वहीं यादें हैं, वहीं जज्बात है। जरूरी था, करना निज करम, बदल गए तुम, बदल गए हम। वहीं दिल है, व…
बस अब बहुत हुआ - कविता - अशोक योगी "शास्त्री"
मेरे धैर्य की परीक्षा मत लो मेरी...रज .. में .. .पलकर बड़ी होने वाली संतानों लाखों, करोड़ों अरबों खरबों पैदा किए हैं तुम…
आई लव यू ग़ज़ल - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
खुलके करता हूँ इजहार आई लव यू ग़ज़ल तू ही मेरा सच्चा प्यार आई लव यू ग़ज़ल भूल गया खुदको तेरा नाम लिखते लिखते, आशिक़ तेरा दिले बीमार आ…
तू ही तू - कविता - शेखर कुमार रंजन
ना जाने क्यू ना जाने क्यू मुझे दिखती हैं तू ही तू मेरा रास्ता तू ही है मेरी मंजिल तू ही है ऐसा मुझे क्यू लगे तू ही बता ए दिलर…
वीर वधुओं का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
देश की रक्षा करते हैं जो छोड़ कै घर और गाम पैसे के लालच में उनको मतना करो बदनाम कुछ तो उनकी शर्म करो रै बिन प…
हुए जो गैर के - ग़ज़ल - कुमार निर्दोष
मैं तेरे प्यार में ये काम भी कर जाऊँगा हुए जो गैर के, तेरे दर पे ही मर जाऊँगा सहारे तुझको मिलेंगे बहुत ही दुनिया में मैं तो बिन…
खोया मनुज विवेक - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शिक्षा दीक्षा सब विफल , खोया मनुज विवेक। अहंकार की नशा में , मर्यादा दी फेंक।।१।। लिया हाथ कानून को , दी जूतों स…
हथिनी और हैवानियत - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
पानी में तड़प कर, जान दिए जाने पर, साथी हाथी शोक मनाते, खड़े वहां पर। हाथी अपनी सूंड से, स्पर्श करता रहा। संवेदना प्रकट! मौन श्…
हाथियों की हत्या की परंपरा आखिर कब तक जारी रहेगी? - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
केरला की दर्दनाक ,शर्मनाक घटना से आत्मा इस कदर आहत हुई कि निशब्द हूँ ,निस्तब्ध हूँ । मेरे जेहन में , हाथी मेरे साथी, फिल्म का एक …
कहानी कैसी - कविता - नौशीन परवीन
अब तेरे-मेरे अरमानों की कहानी कैसी उजड़ गये सपनों की कहानी कैसी जब बिछड़ गयें तो बिछड़ने की शिकायत कैसी दर्द-ए-जुदाई ही …
अरुणिम मुख मुस्कान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
खुशियों की पहचान वह, अधरों पर मुस्कान। जीवन जीने की कला , मानक नित सम्मान।।१। सहयोगी संघर्ष की , साहस देती मुस्कान। स्वी…
अपना धरम कभी ना भूली यही असर है बापू का - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
नश्वर है हर वस्तु यहाँ की प्यार अमर है बापू का । कोई साथ नही देता है , सँग अमर है बापू का । साथ साथ चलते हैं बापू ,…
मेरा सब कुछ लुट गया मितवा - गीत - कुमार निर्दोष
मेरा सब कुछ लुट गया मितवा किस्मत ने मारा है अब तेरी याद मेरे जीने का सहारा है मिलने से पहले बिछड़ा हंसों का जोड़ा राम ने भी ना…
तरस हम गरीबों पे खाया करो - ग़ज़ल - मनजीत भोला
तरस हम गरीबों पे खाया करो हमारी गली में न आया करो खुशी से कहीं दम निकल जाए ना महोबत न इतनी जताया करो यहाँ रौशनी की कमी ही सही …
बने स्वच्छ पर्यावरण - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुुुंज"
खुद जीवन का रिपु मनुज , खड़े मौत आगाज। बिन मौसम छायी घटा , वायु प्रदूषित आज।।१।। भागमभागी जिंदगी , बढ़ते चाहत बोझ…
स्वदेशी उत्पादन में आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कोरोना काल ने देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से डामाडोल कर दिया है इसमें कोई दो राय नहीं है। यूरोपीय देशों और अमेरिका के स…
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