अकेले रहे तो समझ आया - कविता - नाजिया

अकेले रहे तो समझ आया - कविता - नाजिया | Hindi Kavita - Akele Rahe To Samjh Aaya - Naziya Poem | आत्म पर कविता
अकेले रहे तो समझ आया,
सब कुछ तो था,
बस कोई अपना नहीं था।

ख़ामोशी ने
दर्द का राज़ बताया,
और तन्हाई ने ख़ुद से मिलवाया।

टूटे ख़्वाब भी 
रास्ते बन गए, 
आँसुओं के दरिया से पुल बन गए।

अँधेरा गहरा था,
पर डर नहीं लगा,
क्योंकि कहीं से एक उजाला सा चमक गया।

ज़िंदगी ने ठोकर दी,
और गिरना सिखाया,
और हर गिरावट ने ख़ुद को समझाया।

अब ना किसी सहारे की तलाश है,
ख़ुद पर यक़ीन है, 
और दिल में एक आस है।

नाजिया - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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