नाजिया - नोएडा (उत्तर प्रदेश)
अकेले रहे तो समझ आया - कविता - नाजिया
शुक्रवार, जून 20, 2025
अकेले रहे तो समझ आया,
सब कुछ तो था,
बस कोई अपना नहीं था।
ख़ामोशी ने
दर्द का राज़ बताया,
और तन्हाई ने ख़ुद से मिलवाया।
टूटे ख़्वाब भी
रास्ते बन गए,
आँसुओं के दरिया से पुल बन गए।
अँधेरा गहरा था,
पर डर नहीं लगा,
क्योंकि कहीं से एक उजाला सा चमक गया।
ज़िंदगी ने ठोकर दी,
और गिरना सिखाया,
और हर गिरावट ने ख़ुद को समझाया।
अब ना किसी सहारे की तलाश है,
ख़ुद पर यक़ीन है,
और दिल में एक आस है।
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