कहानी कैसी
उजड़ गये सपनों की
कहानी कैसी
जब बिछड़ गयें
तो बिछड़ने की
शिकायत कैसी
दर्द-ए-जुदाई ही
अब सहना है
तो मुस्कुराने की
चाहत कैसी
यादों की कश्ती अब
गम की दरिया में
डूब जायेगी
मेरी अश्कों की कीमत
किसी के समझ में
न आएगी
खो कर मुझको
तुम्हें भी चैन की
नींद नहीं आयेगी ।
नौशीन परवीन - रायपुर (छत्तीसगढ़)