बदल गए हम - कविता - जितेन्द्र कुमार

वहीं  दिन   है,  वहीं  रात   है,
वहीं यादें हैं, वहीं जज्बात  है।
जरूरी था, करना निज करम,
बदल गए तुम, बदल गए हम।

वहीं दिल है, वहीं महफ़िल  है,
वहीं पग  है, वहीं  मंजिल   है।
जरूरी था, बढ़ाना निज कदम,
बदल गए तुम, बदल गए  हम।

वहीं इकरार है, वहीं इजहार है,
वहीं सुरूर है, वहीं इंतजार  है।
जरूरी था, करना खुदपे  रहम,
बदल गए तुम, बदल गए  हम।

वहीं  हवाएँ  हैं, वहीं  घटाएँ  हैं,
वहीं धड़कनें हैं, वहीं सदाएँ हैं।
जरूरी था, छिपाना निज  गम,
बदल गए तुम, बदल गए  हम।

वहीं अनासिर है, वहीं जंजीर है,
वहीं   तुम  हो, वहीं  समीर   है।
जरूरी था, टूटना   निज   वहम,
बदल गए  तुम, बदल  गए  हम।


जितेन्द्र कुमार - सीतामढ़ी (बिहार)

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