अपना धरम कभी ना भूली यही असर है बापू का - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

नश्वर है हर वस्तु यहाँ की  
प्यार अमर है बापू का ।
 
कोई साथ नही देता  है ,
सँग अमर है बापू  का ।

साथ साथ चलते हैं बापू ,
जायें अगर कही भी हम ।

थकने पर हिम्मत बंधवाते  ,
टूटें अगर  कहीँ भी  हम ।

सती  ,वीरबाला तुम बनना ,
यही सन्देशा  बापू  का ।

गिरकर उठना  ,खोकर पाना ,
कथन हमेशा बापू  का ।

नश्वर है हर वस्तु यहाँ की ,
प्यार अमर  है बापू का ।

जीवन का संघर्ष कठिन हो ,
अगर ख्याल ना राखें  बापू ।

किस से मन की व्यथा सुनाऊँ ,
अगर हाल ना भाँपें  बापू ।

उनका  लहू भरा जो मुझमें ,
क्षमतावान बनाता मुझको ।

कष्टों मे भी हंसकर जीना ,
उनका ध्यान दिलाता मुझको ।

अपना धरम कभी ना भूली ,
यही  असर   है  बापू का ।

नश्वर  है हर वस्तु यहाँ की ,
प्यार अमर है  बापू  का ।

सुषमा दीक्षित शुक्ला
राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos