अरुणिम मुख मुस्कान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

खुशियों की पहचान वह,  अधरों पर मुस्कान।
जीवन जीने  की  कला , मानक नित सम्मान।।१।

सहयोगी   संघर्ष    की , साहस देती मुस्कान।
स्वीकृति की नित मापिका,नव जीवन आधान।।२।।

समरसता नित सूचिका , मौन  मन्द  मुस्कान।
निशिचन्द्र  की  चाँदनी , सुखदा   जीवन दान।।३।।

राहत  चाहत जिंदगी,सुख दु ख का प्रतिमान।
सरला सहजा हर दशा , आलोकित  मुस्कान।।४।।

समाधान   हर     आपदा , शत्रुञ्जय    ब्रह्मास्त्र।
प्रीति   रीति   अस्मित अधर ,दुर्जय है यह शस्त्र।।५।।

बदले    विधि  प्रतिकूलता , साधक हर अरमान।
क्षमा दान    मुस्कान  से, जीते     सकल जहान।।६।।

अन्तस्तल     परिवेदना , या    जीवन   उल्लास।
उद्भावन    मुस्कान     बन , दे  जीवन  आभास।।७।।

ममता   करुणा मातु की , स्नेहिल नित मुस्कान।
अभिवादन स्वागत नमन , शील   विनय वरदान।।८।।

प्रीत    मिलन  प्रेमी युगल , बिम्बाधर   मुस्कान।
आलिंगन साजन हृदय ,हर्षित  प्रियतम     मान।।९।।

भक्ति शक्ति अरु  प्रेम की , है   प्रमाण  मुस्कान।
सुष्मित सुरभित नित प्रकृति,है प्रतीक भगवान।।१०।।

पलभर की लघु जिंदगी , कवि निकुंज अरमान।
परहित  हस्ताक्षर  बने  , खुशी शान्ति  मुस्कान।।११।।

खिले चमन पा खुशनुमा,अरुणिम मुख मुस्कान।
निशि गम हो , चाहे  खुशी, यश अमोल  वरदान।।१२।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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