स्वदेशी उत्पादन में आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

कोरोना काल ने देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से डामाडोल कर दिया है इसमें कोई दो राय नहीं है। यूरोपीय देशों और अमेरिका  के साथ ही चीन में बड़ा निवेश कर चुकी बाहरी कंपनियां आर्थिक महामंदी के दौर से गुजर रहे हैं। भारत के संदर्भ में कोरोनाकाल जितनी बड़ी चुनौती  है उतना ही बड़ा अवसर भी, क्योंकि भारत विकासशील देशों की श्रेणी के बावजूद बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल था और रहेगा भी। आत्मनिर्भर भारत अभियान का मूल मंत्र तो सिर्फ स्वदेशी ही है , क्योंकि जब स्वदेशी को पूरा पूरा मान सम्मान और अपनत्व का भाव मिलेगा तो भारत की अर्थव्यवस्था का पंख लगाकर उड़ान भरने से कोई  रोक नहीं सकता।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के इस आर्थिक पैकेज का पूरा केंद्रबिंदु स्वदेशी  ही है अर्थात विश्व में भारत की जो शाश्वत पहचान रही है उसके पुनर्जागरण का यह अध्याय है जिसका कोरोना काल निमित्त मात्र बना है। जिससे भारत में स्थानीय उत्पादों को वैश्विक उत्पाद बनाने की रणनीति शामिल है , क्योंकि यह आर्थिक पैकेज भारत के उन  ग्रामीण उद्योग, कुटीर इकाइयों, हस्तशिल्प, हथकरघा जैसे असंख्य हाथों से उस हुनर को नया आयाम देने का प्रयास है। यानी भारत का उस देसी कला, देसी उत्पाद और हर उस देसी सामग्री को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बनाने का उसका इंटरनेशनल ब्रांड तक पहुंच बनाने एवं बढ़ाने की नीति का ही हिस्सा है, जिसको आत्मसात कर गर्व करने उसका प्रचार करके उसे हर स्थिति में बढ़ावा देने की पहल है।जो अपने घर से यानी भारत  से ही भारतीयों को भारतीय उत्पादों के लिए करनी होगी , फिर वे कृषि कृषक से जुड़े खाद्य पदार्थ हों,फल फूल हो या फिर पहनने के कपड़े , उपयोग में आने वाले उत्पाद जूते जैकेट से लेकर गेहूं तक या फिर इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, शैक्षणिक गतिविधियां, उपचार की तकनीकी या फिर पर्यटन का क्षेत्र हो।

खरीदी बिक्री की देशी तकनीक हो। 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का इस्तेमाल भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए होगा जिससे भारत का रूप ही बदल जाएगा।
खादी की भांति अन्य उत्पादों को प्राथमिकता में रखना होगा। भारत विकासशील देशों की श्रेणी के बावजूद अर्थव्यवस्था में शामिल था और रहेगा भी। यह संकट पूर्ण दौर भारत के लिए अर्थव्यवस्था के मान से एक कदम पीछे ले कर दो कदम आगे बढ़ जाने का अवसर है , क्योंकि भारत ने कोरोनावायरस जैसे मिलते जुलते संकटों के दौर का सामना करते हुए अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने का समय समय पर इतिहास रचा है। चीन और अमेरिका में इससे पहले भी बैंक दिवालिया हो चुकी थी , लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था निष्प्रभावी रही थी। यही तो हमारी वास्तविक ताकत है, क्योंकि भारत के पास आज सर्वाधिक युवा शक्ति है। यहां की कार्य क्षमता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता का लोहा तो लोग देख चुके है। 
अतः देशी उत्पादों को अब  प्राथमिकता में रखना होगा।तभी स्थानीय ब्रांड ग्लोबल हो सकेंगे, इसलिए देसी पर्यटन को भी व्यापक बढ़ावा मिले , जब अंतरिक्ष तकनीकें, मिसाइलें, पनडुब्बी ,सामरिक हथियार भी स्वदेशी हो।
घूमने फिरने से लेकर खान-पान, रहन-सहन और व्यवहार तक को स्वदेशी बनाना होगा यही मूल मंत्र स्वदेशी उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता का , पूर्णता  का, स्वतन्त्रता का।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)

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