संदेश
मेरे देश की धरती - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेरे देश की धरती, साहस उर भरती, लहरें तिरंगा प्यारा, हिंदुस्तान हमारा। जोश जज़्बा हौसलों की, भरते नई उड़ान, जोशीले स्वर में गाते, जय हि…
उठो देश के वीर सपूतों - कविता - सूर्य मणि दूबे 'सूर्य'
उठो देश के वीर सपूतों, एक नया आग़ाज़ करो। आज़ादी का अमृत मन्थन, नस नस में नव प्राण भरो। याद करो इतिहास तुम्हारा, राणा और शिवाजी का। गुरु …
पंद्रह अगस्त - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
कण कण मिट्टी का डोल उठा, देखो पंद्रह अगस्त आया है। कितने संघर्षों को करके पार, हमने यह अनुपम दिन पाया है।। सकल विश्व में अपने भारत का,…
प्यारा भारत - कविता - बृज उमराव
देश के वीरों की क़ुर्बानी को, आओ हम याद करें। राष्ट्र कुशलता हेतु प्रभु से, आओ हम फ़रियाद करें।। आनंद कंद में मुदित कंठ, उल्लासित तन मन …
ऐ वतन - गीत - रौनक द्विवेदी
रुत आती-जाती रहती है बलिदानी की, तेरे अस्मत पे मर-मिट जाने की। जान दे के करेंगे तेरा जतन, तू करना न ज़रा भी फ़िकर ऐ वतन। ऐ वतन। तेरी मि…
आज पन्द्रह अगस्त फिर आया - कविता - राम प्रसाद आर्य 'रमेश'
आज पन्द्रह अगस्त फिर आया, आज़ादी का परचम लहराया। हर्षित उर राष्ट्र ध्वज फहराया, जन गण मन मिल सबने गाया।। बापू ने रण-शंख बजाया, बोस,…
भारत का यशोगान - कविता - गुड़िया सिंह
आज इस देश और इसके वीरो के सम्मान में कुछ अल्फ़ाज़ लिखते है, ऐ भारत की माटी! हम तेरे रजकण को, अपना प्रणाम लिखते है। कितने ज़ुल्म सहे लोगों…
राष्ट्रीय ध्वज - कविता - प्रतिभा नायक
राष्ट्रीय ध्वज लहराएगा फहरेगा तिरंगा। धरा के कण-कण पर, नभ को आलिंगन कर, हर भारतीय के हृदय पर, राष्ट्रीय ध्वज लहराएगा। तीन रंगों की…
देश हमारा सबसे न्यारा - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
सबसे न्यारा सबसे अच्छा, प्यारा अपना देश, सब रहते है इस बग़िया में ज़ाकिर, जॉन, महेश। सुखविंदर भी रहते इसमें और सलमा भी रहती, सब मिलकर …
वीर जवान - कविता - तेज देवांगन
बादल गरजे, बिजली चमके, ख़ून जमे या स्वेद बरसे, खड़े वो सीना तान है, मेरे देश के वीर जवान है। हाँ मेरे देश के वीर जवान है।। गोली की बौछा…
शान है तिरंगा - कविता - शिवचरण सदाबहार
हिन्द की शान है तिरंगा, शहीदों का बलिदान है तिरंगा। चक्र है गति का परचम, वीर शौर्य की पहचान है तिरंगा। केसरिया है वीरो का स्वाभिमान, भ…
स्वतंत्रता दिवस - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
दो सौ साल बाद आख़िरकार, आकांक्षाओं की कलियाँ खिली थी। 15 अगस्त 1947 में भारत को, अंग्रेजी शासन से आज़ादी मिली थी।। अपने व्यवहार से दासत्…
आज़ादी - कविता - अनूप कुमार वर्मा
आज़ादी हमारा अधिकार है, माँ भारती से हमको प्यार है। याद रहे झाँसी की रानी, जिसकी वीरता सब ने मानी। लाला लाजपत राय ने लाठी खाई थी, वो आज़…
देश के दहलीज़ पर चलें - कविता - प्रहलाद मंडल
जिन मिट्टी के हैं उगे फ़सल हम उन मिट्टी के होने चले, मैं चला उसे रोकने जो देश के दहलीज़ पर आकर हैं खड़े। खेतों से कभी आवाज़ें दे पिताजी …
मिट्टी अपने देश की - गीत - महेश 'अनजाना'
जज़्बों से भरी है, मिट्टी अपने देश की, सिर से लगाते हैं, मिट्टी अपने देश की। देश पे ख़तरा जब जब आए जान लो, टीका लगाएँ हम, मिट्टी अपने …
पावन ये भूमि है हमारी - कविता - मोनी रानी
पावन ये भूमि है हमारी, इस भूमि पर न जाने कितने लोग जन्में, जिनकी यादें हमारे दिल में ताज़ा है अभी। पावन ये भूमि है हमारी।। नेताजी, राष्…
जीवन की भूल - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
माना कि भूल होना मानवीय प्रवृत्ति है जो हम भी स्वीकारते हैं। मगर अफ़सोस होता है जब माँ बाप की उपेक्षाओं उनकी बेक़द्री को भी हम अपनी भूल …
वक़्त बहुत ही शर्मिंदा है - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती: 22 22 22 22 वक़्त बहुत ही शर्मिंदा है, आतंक अभी भी ज़िंदा है। फूल बहुत कोमल होता है, जैसे अब खार द…
क्या क्या बहकर चला गया - कविता - सतीश श्रीवास्तव
हमको तो हर बार यहाँ पर बोलो क्यों कर छला गया, तुम्हें पता है इस पानी में क्या क्या बहकर चला गया। सचमुच आए थे फ़रिश्ते कुछ तो हमें बचाने…
उपहार - कहानी - पुश्पिन्दर सिंह सारथी
रक्षाबन्धन का समय नज़दीक आने लगा और मोहन अपनी छोटी बहिन को उपहार देने के लिए दिन रात ऑटो चला कर पैसे कमाने मे व्यस्त था। जैसे जैसे समय…
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