मेरे देश की धरती - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी

मेरे देश की धरती, साहस उर भरती,
लहरें तिरंगा प्यारा, हिंदुस्तान हमारा।

जोश जज़्बा हौसलों की, भरते नई उड़ान,
जोशीले स्वर में गाते, जय हिंद का नारा।

हर घाटी फ़िज़ाओं में, देश प्रेम की धारा,
वंदे मातरम गूँजे, राष्ट्रगीत हमारा।

हर आँधी तूफ़ानों में, जीवन के मैदानों में,
समरसता बहती, ऐसा देश हमारा।

धरती माँ के लाडले, देशप्रेम मतवाले 
झूम झूम सारे गाते, प्यारा देश हमारा। 

आजादी दिवस आया, होठों पे ख़ुशियाँ लाया,
देशभक्ति महोत्सव, आया त्योहार प्यारा।

जो तूफ़ाँ से भिड़ जाते, गीत वतन के गाते,
रग रग बहती है, पावन राष्ट्र धारा।

घट-घट में उमड़े, दिलों में बहती धारा,
राष्ट्रप्रेम भाव भरा, आज़ादी पर्व प्यारा।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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