प्यारा भारत - कविता - बृज उमराव

देश के वीरों की क़ुर्बानी को,
आओ हम याद करें।
राष्ट्र कुशलता हेतु प्रभु से,
आओ हम फ़रियाद करें।।

आनंद कंद में मुदित कंठ,
उल्लासित तन मन सारा।
ख़ुशियों की विरुदावलि गूँजे,
भारत भाग्य हमारा।।

बहुत कठिन संघर्ष हुआ,
तब मिली हमें आज़ादी।
एक एक पल ख़ूब सजाएँ,
ज्यों माला के मोती।

माला के धागे पर ही है,
अब सारी निर्भरता।
इसकी मज़बूती मे बंधकर,
मोती नहीं बिखरता।।

पूर्व काल में आक्रान्ता से,
बिखर गई संरचना।
संतति को इतिहास बताएँ,
विस्तृत सारी घटना।।

एक सूत्र में बाँधकर हमको,
भारत को है रखना।
सजी हुई यह प्रकृति सम्पदा,
दिखती जैसे गहना।। 

उत्तर हिमगिरि सीना ताने,
दक्षिण सागर गहरा। 
पूरब में वन सम्पदा निराली,
पश्चिम मरुस्थल ठहरा।। 

सम्पूर्ण विश्व में भारत की,
गौरव गरिमा न्यारी।
माँ का दर्जा पाती नदियाँ,
बहती कल-कल प्यारी।। 

सर्वत्र विश्व में हैं रोशन,
आज देश के लाल। 
लहर-लहर लहराए तिरंगा,
देश बने ख़ुशहाल।।

बृज उमराव - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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