ऐ वतन - गीत - रौनक द्विवेदी

रुत आती-जाती रहती है बलिदानी की,
तेरे अस्मत पे मर-मिट जाने की।
जान दे के करेंगे तेरा जतन,
तू करना न ज़रा भी फ़िकर ऐ वतन।
ऐ वतन।
तेरी मिट्टी से बना फ़ौलादी,
तेरी मिट्टी में मिल जाना है।
दिल की ये हसरत पूरी हो जल्दी,
दिन वो मुझको लाना है।
फिर महकाएँगे तेरा चमन,
तू करना न ज़रा भी फ़िकर ऐ वतन।
ऐ वतन।
हिंद देश का हूँ मैं दिवाना,
दुनिया को दिखाना है।
जब-जब उठेगी नापाक नज़रे,
क़दमों में तेरे झुकाना है।
शान-ए-तिरंगे को लहराएँगे गगन,
तू करना न ज़रा भी फ़िकर ऐ वतन।
ऐ वतन।

रौनक द्विवेदी - आरा (बिहार)

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