स्वतंत्रता दिवस - कविता - आराधना प्रियदर्शनी

दो सौ साल बाद आख़िरकार,
आकांक्षाओं की कलियाँ खिली थी।
15 अगस्त 1947 में भारत को,
अंग्रेजी शासन से आज़ादी मिली थी।।

अपने व्यवहार से दासत्व को मिटाकर,
निर्भयता के संकल्प को शामिल किया था।
अपना सब कुछ न्योछावर करके वीर सेनानियों ने,
स्वतंत्रता को हासिल किया था।।

जब लोकतंत्र के आधार पर पंडित जवाहरलाल नेहरू को,
प्रथम प्रधानमंत्री बनाया था।
गौरव का वह मंज़र सोचो जब पहली बार,
लाल किले पर तिरंगा लहराया था।।

शहीदों के सम्मान में अनगिनत प्रदर्शन,
उनकी स्मृतियों को अलंकृत किया जाता है। 
इतना ही नहीं प्रतिवर्ष नव भारत का ध्वज फहराकर,
सांस्कृतिक कार्यक्रम व परेड आयोजित किया जाता है।।

आज संपूर्ण देश में इस दिन उत्सव मनता है, 
साहित्यकारों संग समारोह व काव्यांजलि की जाती है। 
वीर शहीदों के याद में उन्हें,
बढ़-चढ़कर श्रद्धांजलि दी जाती है।।

भारत यशस्वी था और रहेगा,
भारत को आत्मनिर्भर बनाए रखना है।
होकर देश प्रेम की भावना से अभिभूत,
देश का गौरव सम्मान बनाए रखना है।।

भारत माँ को करके नमन,
आज़ादी का यह पर्व मनाना है।
वैधानिक रूप से इसका मूल्य समझकर,
हम सब को स्वतंत्रता दिवस मनाना है।।

आराधना प्रियदर्शनी - हज़ारीबाग (झारखंड)

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