भारत का यशोगान - कविता - गुड़िया सिंह

आज इस देश
और इसके वीरो के
सम्मान में कुछ अल्फ़ाज़ लिखते है,
ऐ भारत की माटी!
हम तेरे रजकण को,
अपना प्रणाम लिखते है।

कितने ज़ुल्म सहे लोगों ने
कितनो ने ही,
अपनी जान गंवाई,
भारत के कई वीर सपूतों ने
अपने जीवन की बलि चढ़ाई।

हँसते-हँसते वो क़ुर्बान हो गए,
अमर उन वीरो के नाम हो गए,

आज हम उन्हीं
वीर शहीदों के
वीरता का गुणगान लिखते है,
ऐ भारत की पवित्र माटी
हम तेरे रजकण को
अपना प्रणाम लिखते है।

वो भी क्या लोग थे,
जो धरती को माता कहते थे,
इस देश की रक्षा में,
जीवन की आहुति देने को
तत्पर रहते थे,

आज हम उन समस्त
वीरो के चरणों में
अपना सलाम लिखते है,
ऐ भारत की पवित्र माटी!
हम तेरे रजकण को,
अपना प्रणाम लिखते है।

जहा राम-कृष्ण ने जन्म लिया,
है पावन वह स्थल यहाँ,
है चारो धाम के होते यहाँ दर्शन,
माँ गंगा, यमुना, सरस्वती का
बहता पवित्र जल यहाँ।

हम अपने इस देश का
तहे दिल से यशोगान लिखते है,
हम तेरे रजकण को,
अपना प्रणाम लिखते है।

जय हिंद! जय भारत! के
नारे के साथ ही
अपनी वाणी का
विराम लिखते है।
हम तेरे रजकण को
अपना प्रणाम लिखते है।

गुड़िया सिंह - भोजपुर, आरा (बिहार)

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