सतीश श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
क्या क्या बहकर चला गया - कविता - सतीश श्रीवास्तव
शुक्रवार, अगस्त 13, 2021
हमको तो हर बार यहाँ पर
बोलो क्यों कर छला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
सचमुच आए थे फ़रिश्ते
कुछ तो हमें बचाने,
भीड़ बहुत आई थी लेकिन
बस फोटो खिंचवाने।
स्वारथ की नातेदारी की
तह कर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
पेड़ों पर रातें बीतीं हैं
देख नदी की धार,
खेती-बाड़ी चली गई है
चला गया घर द्वार।
जर्जर दीवारें थीं घर की
वह भी ढहकर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
बड़े जतन से हमने अपने
खेतों को सहलाया था,
धरा कटे न इसीलिए तो
हम ने बाग़ लगाया था।
हिम्मत कभी ना हारें हमसे
पानी कहकर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
नन्ही गुड़िया पूछ रही है
कहाँ गई है नानी,
वही खिलौने माँग रही है
जो बहा ले गया पानी।
नाना भी फिर नानी का ग़म
सहकर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
गलियाँ पुल सड़कें बहीं
बह गई सब सुविधाएँ,
पता नहीं अब राम हमें यह
फिर कैसे मिल पाएँ।
सुख था बस मेहमान हमारा
कुछ दिन रह कर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
हाथों को पीले करने थे
अपनी बिटिया रानी के,
समझ ना पाए दुखदाई हैं
उपसंघार कहानी के।
बहते पिता का हाथ पुत्र भी
संग में गह कर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
लुटा लुटा माहौल हुआ है
छाई बस वीरानी है,
जिधर नज़र डालो बस केवल
हानि ही हानि है।
काट दिए हैं खेत सब जगह
दह कर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
बहुत सह लिए कष्ट प्रभु जी
अब तो दया करो,
सब हो जाएँ सुरक्षित प्रभु जी
कुछ तो नया करो।
पानी का क्या है वह तो
बस टह कर चला गया,
तुम्हें पता है इस पानी में
क्या क्या बहकर चला गया।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर