संदेश
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग १७) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१७) बोले प्रिय दिनमान, मौन यूँ रह के पल भर। क्रांति हुई अवसान, यहाँ न काल-कालान्तर। ईस्ट इंडिया ताज, हटी भारत माटी से। चल पड़ी ब्र…
सुख दुख - दोहा छंद - कवि संत कुमार "सारथि"
सुख दुख जीवन रीत है, जैसे हो दिन रात। गरमी, शरद बसंत है, चौथी है बरसात।।१।। सुख दुख जीवन में सदा, चलता हरदम संग। कभी निराशा मत रखो, रख…
एहसासों की पोटली - कविता - डॉ. राजकुमारी
हाँ माँ तुम बहुत याद आती हो जब हाथ जलता कुकर से या मुड़ती हैं उंगली, गैस ब्रनर से ब्रन होकर भी नहीं चीखती, बस एक नन्हीं रा सी आह…
पथिक हूँ मैं - कविता - डॉ. विजय पंडित
अनंत अज्ञात या शायद स्वयं की खोज में हूँ हाँ... पथिक हूँ मैं। सत्य असत्य राहें अनजानी मरूस्थल के हिरण सा मरीचिका दौड़ाती राह भट…
प्रेम की फ़सल - कहानी - रोहित गुस्ताख़
वक़्त के साथ सोहन भी बड़ा हो रहा था, जिस क़बीले में वो रहता था। वहाँ अक्सर लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज लोग एक दूसरे को बिल्कुल नहीं भाते थे। आपस…
दुःख और दर्द - गीत - पारो शैवलिनी
भूल की धूल को छांटना ही होगा। दुःख और दर्द को बांटना ही होगा। मोम से पिघलते ये रिश्ते ओ नाते, झूठी-झूठी कसमें, झूठे-झूठे वादे, विष भरे…
कविता - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
सृजन का अर्पण है कविता, मन का दर्पण है कविता। अनकहा चरण है कविता, शून्य हृदय में रोपण है कविता। सीप में मोती सा चयन है कविता, अर्…
रात सुनाए गीत गोरी - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
रात सुनाए गीत गोरी भोर भये रस बरसाए। प्रिय छोड़ के संग मोरे अब क्यों नैना तरसाए, रात सुनाए गीत गोरी, भोर भये रस बरसाए। भोर हुआ सारा आ…
जीवन: एक यात्रा - लेख - सुधीर श्रीवास्तव
मानव जीवन जिंदगी के विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए अपनी अंतिम यात्रा तक पहुंच कर खत्म होती है। परंतु यह विडंबना ही है कि इस यात्रा के …
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग १६) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१६) हे प्रभु दीनानाथ, नमन मेरा स्वीकारो। गौरवमयी प्रगाथ, सुनाकर हमें उबारो। वीर उमराँव सिंह, खटंगा पातर वासी। शेख भिखारी संग, किस…
घर का रास्ता - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
यह कविता अवध की लेखनी से जन सरोकार के महाकवि श्रद्धेय मंगलेश डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि है। जनकवि मंगलेश डबराल हिंदी के सहज सरल सं…
माहौल का असर - कहानी - शेखर कुमार रंजन
जब मैने काया से पहली बार मिला था तब उसे समझ पाना मेरे लिए बिलकुल ही मुश्किल था उसका कोई भी बात मेरे लिए एक पहेली जैसी थी ऐसा लगता था क…
तुम बिन - कविता - श्रवण निर्वाण
तुम बिन मेरी कैसी कहानी कैसी ये मेरी ज़िन्दगानी हवा भी नहीं लगती सुहानी तुम बिन... चाँदनी रात ना सुहाये चाहे कोयल गीत सुनाये गीत…
कैसे लिखूं अफ़साने - गीत - रमाकांत सोनी
कभी नेट साथ नहीं देता, कभी सेठ साथ नहीं देता, कभी फुर्सत नहीं खुद को, भागमभाग भरी ज़िंदगी में, कैसे लिखू अफ़साने। कभी वक्त बदल जाता है…
रिश्ते-नाते - कविता - विकाश बैनीवाल
गुड़-शक़्कर से होते है रिश्ते-नाते, मिठास बिन रहता सब फीका-फीका। परिवार की बुनियाद इन्हीं से जुड़ी, रिश्ते-नाते बताते ज़िंदगी का सलीक़ा…
मंज़र - कविता - तेज देवांगन
रुकसत भरी निगाहों को, मंजर मिले, दर किनारे बह रहा हूँ, मुझे समंदर मिले। मिले हर लफ्ज़ को अल्फ़ाज़ तुम्हारा, मिले हर गीत को साज तुम्हार…
आस्तीन के साँप - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आस्तीन के साँप बहुतेरे, पलते हैं राष्ट्र में। सत्ता भोग मुक्त मदमाते, विद्रोही घातक बन देश में। ख़ोद रहे …
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग १५) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१५) रात गई थी बीत, क्षितिज पे दिनकर आए। कोयल गायी गीत, फूल खिलकर मुस्काए। झारखण्ड जोहार! बोले ज्यों बाल दिवाकर। प्रश्नों की बौछार…
परीक्षाओं का महत्व - आलेख - सलिल सरोज
प्राचीन शिक्षा पद्धति में आधुनिक युग की भाँति परीक्षा लेने तथा उपाधि प्रदान करने की प्रथा का अभाव था। विद्यार्थी गुरु के सीधे संपर्क म…
नये मौसम के बीज - कविता - वरुण "विमला"
बीज के साथ दबा देता है अपने गम साथ हुये अत्याचार अपनी ख़्वाहिशें। बस उगाता है जठराग्नि को शांत करने की औषधि छटाई कर देता है शेष …
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