डॉ. राम कुमार झा ''निकुंज" - नई दिल्ली
आस्तीन के साँप - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, दिसंबर 10, 2020
आस्तीन के साँप बहुतेरे,
पलते हैं राष्ट्र में।
सत्ता भोग मुक्त मदमाते,
विद्रोही घातक बन देश में।
ख़ोद रहे वे ख़ुद वजू़द को,
कुलघातक शत्रु खलवेष में।
भूले भक्ति स्वराष्ट्र प्रेम को,
गलहार चीनी नापाक में।
राष्ट्र गात्र को नोच रहे वे,
सदा खल कामी मदहोश में।
नफ़रत द्वेष आग फैलाते,
मौत जहर खेल आगोश में।
लहुलूहान स्वयं ज़मीर वे,
लालच प्रपंच और द्वेष में।
वतन विरोधी बद ज़ुबान वे,
बेचा ईमान अरमान में।
ध्वजा राष्ट्र अपमान करे वे,
नापाकी चीन सम्मान में।
शर्माते जय हिन्द कथन में,
गद्दारी वतन अपमान में।
देश विरोधी चालें चलते,
मदद माँगते चीन पाक में।
बने आस्तीन के भुजंग वे,
उफ़नाते फुफ़कारी देश में।
हँसी उड़ाते हर शहीद के,
जो बलिदान राष्ट्र सम्मान में।
रनिवासर सीमान्त डँटे जो,
बने भारत रक्षक आन में।
नारी के सम्मान तौलते,
दे मज़हबी रंग समाज में।
झूठ फ़रेबी धर्म बदल वे,
फँसी बेटी प्रेमी जाल में।
जहाँ आस्तीन का साँप पले,
समझो विनाश उस देश में।
कुचलो फन उस देश द्रोह के,
तभी प्रगति सुख शान्ति वतन में।
शुष्क घाव नासूर बने वे,
फ़ैल दहशत द्रोही वेश में।
शत्रु हो विध्वंश समूल वे,
खुशी समरसता हो भारत में।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर