प्रेम की फ़सल - कहानी - रोहित गुस्ताख़

वक़्त के साथ सोहन भी बड़ा हो रहा था, जिस क़बीले में वो रहता था।
वहाँ अक्सर लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज लोग एक दूसरे को बिल्कुल नहीं भाते थे।
आपस मे कभी मिलकर नही रहते थे।

इक रोज एक साधु उसके क़बीले में भिक्षा मांगने आये।साधु के चेहरे पर सूर्य सा तेज़, वाणी शहद से भी मीठी, एक हाथ मे कमण्डल और दूजे में माला लिए, कंधों पर कुछ सामान रखे हुए थे।
जैसे ही साधु ने आबाज़ लगाई भगवान के नाम पर साधु को कुछ भिक्षा दे दे। भगवान आपका भला करेगा। आपके बच्चे सदा सुखी रहें। माँ लक्ष्मी आप पर सदा सहाय करें।
अंदर से आबाज़ आती है-घर में कोई नहीं है और कहीं देखो।

साधु ने दूसरे द्वारे पर जाकर आबाज़ दी भगवान के नाम पर साधु को कुछ भिक्षा दे दे। भगवान आपका भला करेगा। आपके बच्चे सदा सुखी रहें। माँ लक्ष्मी आप पर सदा सहाय करें।
तभी एक औरत बड़बड़ाते हुए आई और गुस्से में कहने लगी, क्या है बोलो क्यों चिल्ला रहे हो।
रोज-रोज आ जाते हैं और कुछ काम नहीं है क्या, मुफ्त में रखा है हमारे यहां तो तभी बगल से गुज़र रहे आदमी ने साधु के साथ गाली गलौज शुरू कर दिया।

ये सब देखकर सोहन की आँखों में आँसू आ गए। वह दौड़ते हुए, साधु के पास जा पहुँचा और हाथ जोड़कर बोला-महाराज इन सब की और से मैं आपसे माफी मांगता हूँ। कृपया क्षमा करें।

साधु ने उस बच्चे की ओर देखा मानो साक्षात भगवान के दर्शन हो गए हों। साधु ने पूछा-तुम्हारा नाम क्या है बालक।
बालक सहमते हुए- बाबा जी मेरा नाम सोहन है। मेरा घर पास ही है। चलिए मैं अपने माँ-बापूजी से मिलवाता हूँ।

साधु सोहन के साथ घर गया, सोहन ने बाबा को भोजन करवाया। तभी अचानक सोहन ने बाबा से पूछा, बाबा मेरे क़बीले के लोग एक-दूसरे से क्यों झगड़ते रहते हैं। एक दूजे को क्यूँ नहीं भाते, हमेशा एक दूसरे की बुराई करते रहे है, ऐसे नही हो सकता कि सभी आपस में लड़ें नही, मिलजुलकर रहें।
साधु ने मुस्कुराते हुए जबाब दिया- बिल्कुल हो सकता है। प्रेम ही एक उपाय है, जो सबको एक कर सकता है, सबको जोड़ सकता है। प्रेम ही इंसान को इंसान बना सकता है। प्रेम के बिना इंसान जानवर जैसे ही बर्ताव करेगा।
साधु के वचन सुनकर, सोहन तपाक से बोला मैं नाना के घर जाकर नाना से कहूँगा कि वो इस बार खेतों में प्रेम के बीज बोयें जिससे प्रेम की फ़सल हो,
ताकि मैं वो प्रेम लाकर अपने क़बीले में सबको बाँट दूंगा। और फिर सब एक-दूजे से प्रेम करेंगें।
कभी कोई किसी से बुराई नहीं करेंगे, सब आपस मे सिर्फ और सिर्फ प्रेम करेंगें। सभी साथ खुश रहेंगें।

सोहन की ये बात सुनकर बाबा गदगद हो गए।
आशीर्वाद देते हुए कहा बिल्कुल बेटा।
और फिर साधु बाबा वहाँ से चले गए, और सोहन माँ से नाना के घर जाने की जिद करने लगा।

रोहित गुस्ताख़ - दतिया (मध्य प्रदेश)

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