सुख दुख - दोहा छंद - कवि संत कुमार "सारथि"

सुख दुख जीवन रीत है, जैसे हो दिन रात।
गरमी, शरद बसंत है, चौथी है बरसात।।१।।

सुख दुख जीवन में सदा, चलता हरदम संग।
कभी निराशा मत रखो, रखिये सदा उमंग।।२।।

सदाचार सद्भाव की, सुंदर जीवन रीति।
निर्मल वाणी बोलिए, करना सबसे प्रीति।।३।।

विषय वासना त्याग कर, भजन करे दिन-रात।
त्याग समर्पण भावना, सुंदर हो जज्बात।।४।।

समय बड़ा संसार में, बदल रहा दिन रात।
कभी समय का दिन बड़ा, कभी समय की रात।।५।।

जीवन में मत कीजिए, नर झूठा अभिमान।
हानि लाभ जीवन मरण, है यही विधि विधान।।६।।

दुख सुख जीवन रीत है, कहते चतुर सुजान।
आशा तृष्णा को तजो, मिले जगत में मान।।७।।

कवि संत कुमार "सारथि" - नवलगढ़ (राजस्थान)

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